Short Story For Kids In Hindi:- Here I’m sharing the best sort of Story For Kids In Hindi which is very valuable and teaches your kids life lessons, which help your children to understand the people & world that’s why I’m sharing with you.
यहां मैं बच्चों के लिए हिंदी में नैतिक के लिए शीर्ष कहानी साझा कर रहा हूं जो बहुत मूल्यवान हैं और अपने बच्चों को जीवन के सबक सिखाते हैं, जो आपके बच्चों को लोगों और दुनिया को समझने में मदद करते हैं इसलिए मैं आपके साथ हिंदी में नैतिक के लिए कहानी साझा कर रहा हूं।
लालच बुरी बला Amazing Story For Kids In Hindi
किसी नगर में चार ब्राह्मण-पुत्र रहते थे। अपनी निर्धनता के कारण वे चारों बहुत दुखी थे। एक दिन उन्होंने आपस में विचार-विमर्श किया कि धन के बिना समाज में कोई सम्मान नहीं है, इसलिए हमें धन कमाने के लिए कहीं बाहर चलना चाहिए।
यह सोचकर चारों धन कमाने के लिए परदेश को चल दिए। चलते-चलते वे सब शिप्रा नदी के तट पर पहुंचे शिप्रा के तट पर ही उज्जयनी नामक प्रसिद्ध नगर बसा हुआ था।
नदी के शीतल जल में स्नान करके वे नगर में पहुंचे और महाकाल के मंदिर में पहुंचकर भगवान शंकर को प्रणाम किया। थोड़ी ही दूर उन्हें एक जटाजूटधारी योगी दिखाई पड़ गया।
इस योगिराज का नाम भैरवानंद था। योगिराज उन चारों भाइयों को अपने आश्रम में ले गए और उनके प्रवास का प्रयोजन पूछा। चारों ने कहा-‘हम धन कमाने के लिए अपना नगर छोड़कर आए हैं। धनोपार्जन ही हमारा लक्ष्य है।
अब या तो धन कमाकर ही घर लौटेंगे, नहीं तो मृत्यु का स्वागत करेंगे। इस धनहीन जीवन से तो मृत्यु ही अच्छी है। योगिराज ने उनके निश्चय की परीक्षा लेने के लिए कहा कि धनवान बनना तो दैव के अधीन है।
तब उन्होंने उत्तर दिया-‘यह सच है कि भाग्य ही पुरुष को धनी बनाता है, किन्तु साहसी पुरुष भी अवसर पाकर कभी-कभी अपने भाग्य को बदल डालते हैं।
आप हमें भाग्य का नाम लेकर निरुत्साहित न करें। आप अनेक सिद्धियों के ज्ञाता हैं। आप चाहें तो हमें सहायता दे सकते हैं, हमारा पथ-प्रदर्शन कर सकते हैं। योगी होने के कारण आपके पास अनेक आलौकिक शक्तियां हैं।
हमारा निश्चय भी महान है। महान ही महान की सहायता कर सकता है।’ योगिराज को उनकी दृढ़ता देखकर बहुत प्रसन्नता हुई। प्रसन्न होकर धन कमाने का एक उपाय बतलाते हुए उन्होंने कहा-‘तुम हाथों में दीपक लेकर हिमालय पर्वत की ओर जाओ। वहां जाते-जाते जिस जगह जिस किसी के हाय का दीपक गिर जाए, उस स्थान पर ठहर जाओ।
जिस स्थान पर दीपक गिरे, वह स्थान खोदो। वहां तुम्हें धन प्राप्त होगा। धन को निकालो और उसे लेकर वापस अपने घर लौट जाओ।’ चारों युवक योगिराज द्वारा प्रदत्त मंत्र पूरित दीपकों को लेकर चल पड़े। काफी दूर चलने पर जब वे हिमालय पर्वत के निकट पहुंचे तो उनमें से एक का दीपक नीचे गिर पड़ा।
जब उसने उस स्थान को खोदा तो वहां तांबे की खान मिली। उसने अपने साथियों से कहा-‘मित्रो ! इस तांबे को बेचकर हमारी दरिद्रता दूर हो जाएगी। आओ सब मिलकर इसे निकाल लें और वापस लौट चलें। उसके साथी कहने लगे—’तुम तो मूर्ख हो, इस तांबे को लेकर हम क्या करेंगे!
इससे हमारी दरिद्रता नहीं मिट सकती, चलो, और आगे चलते हैं।’ इस पर वह ब्राह्मण-पुत्र बोला-‘आप लोग जाइए। मैं तो यह तांबा पाकर ही संतुष्ट हूं। मैं इसे लेकर घर लौट जाऊंगा।’ यह कहकर वह वहां मिले तांबे को खोदने लगा ढेर सारा तांबा लेकर वह वापस लौट पड़ा।
कुछ दूर जाने पर, जो सबसे आगे-आगे चल रहा था, उसके हाथ से दीपक गिर पड़ा। उसने उस स्थान को खोदा तो वहां चांदी की खान मिली। तब उसने अपने शेष साथियों से कहा-‘मित्रो ! यहां से यथेष्ट चांदी लेकर घर लौट चलो।’
उसकी बात सुनकर उसके दोनों साईं बोल– देने, से पहले तांबे की खान मिली और अब चांदी की खान निकली है। निश्चित है कि आगे हमें सोने खान मिलेगी। इसको लेकर क्या करेंगे, इससे हमारी दरिद्रता दूर नहीं होगी। चलो, और आगे चलते हैं।
जिस युवक को चांदी प्राप्त हुई थी, उसने कहा-‘मैं तो चांदी पाकर ही संतुष्ट हूं। मैं आगे नहीं जाऊंगा। आप लोगों को जाना है तो जाइए।’ यह कहकर वह चांदी खोदने में व्यस्त हो गया। शेष दोनों साथी हाथों में दीपक लिए आगे बढ़ गए।
कुछ और आगे जाने पर तीसरे साथी का दीपक उसके हाथ छूटकर भूमि पर जा गिरा। उसने उस स्थान को खोदा तो वहां सोने की खान मिली। इस पर वह अपने साथी से बोला-‘मित्र ! अब आगे जाने की क्या आवश्यकता है।
सोना तो बहुमूल्य होता है। यहां से यथेष्ट सोना निकालकर घर को लौट चलते हैं।’ उसकी बात सुनकर उसका साथी बोला-‘तुम भी कितने मूर्ख हो ! देखो. से पहले तांबे की खान निकली, फिर चांदी की खान मिली। अब सोना निकला है तो आगे निश्चित ही रत्नों की खान मिलेगी। उनमें से थोड़े-बहुत रल भी हम निकालने में सफल हो गए तो सारी दरिद्रता दूर हो जाएगी।
इसलिए इस सोने के बारे में क्या सोचना, चलो और आगे बढ़ते हैं।’ यह सुनकर तीसरा बोला-‘तुम आगे जाओ। मैं यहीं बैठकर तुम्हारी प्रतीक्षा करता हूँ। चौया साथी अकेला ही आगे चल पड़ा।
कुछ दूर जाने पर उसे इतनी गर्मी लगने लगी कि वह परेशान हो गया। गर्मी के कारण उसे प्यास भी लग आई। इसका परिणाम यह हुआ कि वह जल की तलाश में इधर-उधर भटकने लगा। इस प्रकार भटकते हुए उसने एक ऐसे व्यक्ति को देखा जिसका शरीर खून से लथपथ हो रहा था। उस व्यक्ति के सिर पर एक चक्र घूम रहा था।
उस व्यक्ति को देखकर उस ब्राह्मण-पुत्र ने पूछा-‘मित्र ! आप कौन हैं ? इस प्रकार घूमते हुए चक्र के नीचे क्यों बैठे हैं ? मैं प्यास से व्याकुल हो रहा हूं, कहीं आसपास में जल हो तो कृपया बताइए।’
ब्राह्मण कुमार की बात समाप्त भी न हो पाई थी कि वह चक्र उस व्यक्ति के सिर पर से उतरकर ब्राह्मण कुमार के सिर पर आकर घूमने लगा। यह देखखर ब्राह्मण कुमार ने पूछा-‘मित्र ! यह कैसी बात हुई ?
यह चक्र आपके सिर से उतरकर मेरे सिर पर क्यों घूमने लगा?’ वह व्यक्ति बोला-‘यह चक्र मेरे सिर पर भी इसी प्रकार आया था।’ ब्राह्मण कुमार ने पूछा-‘अब यह चक्र मेरे सिर पर से कब उतरेगा ?
इसके कारण तो मुझे बहुत पीड़ा हो रही है। ‘आपकी ही भांति जब कोई अन्य व्यक्ति यहां आएगा और आपसे प्रश्न पूछेगा तो उसी समय यह चक्र आपके सिर से उतरकर उसके सिर पर जाकर घूमने लगेगा।
उस व्यक्ति ने बताया। ब्राह्मण-पुत्र ने पूछा-‘आप यहां कितने दिनों से हैं ?
वह व्यक्ति बोला-‘इससे पहले कि मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दें, पहले यह बताओ कि आजकल पृथ्वी पर किस राजा का राज्य है?
‘इस समय तो महाराज वीणा वत्सराज का राज्य है।
यह सुनकर वह व्यक्ति बोला-‘तब तो मुझे यहां कष्ट भोगते हुए बहुत समय व्यतीत हो गया। तब महाराज रामचंद्र का राज्य था। दरिद्रता से दुखी होकर मैं एक योगी द्वारा उपाय से एक सिद्ध दीपक लेकर इसी मार्ग से जा रहा था।
यहां पर मैंने एक व्यक्ति से इसी प्रकार, इस विषय में प्रश्न पूण ही था कि यह चक्र मेरे सिर पर आकर घूमने लगा था। ब्राह्मण कुमार को बहुत आश्चर्य हुआ। उसने पूछा-‘इस प्रकार इस चक्र के नीचे बैठे हुए आपको भोजन और जल किस प्रकार मिला?’ ‘महाशय ! धन के देवता कुबेर ने धन की चोरी के भय से धन प्राप्ति के उद्देश्य से इधर आने वाले व्यक्तियों के लिए इस चक्र का भय दिखाया है। इसी कारण कोई इधर आता नहीं है। यदि कोई आ भी जाए तो उसकी यही दशा होती है।
वह व्यक्ति भूख-प्यास महसूस करता ही नहीं, महसूस करता है तो सिर्फ इस चक्र द्वारा प्रदत्त असीम वेदना का अहसास। अब आप इस वेदना का अनुभव कीजिए। मैं तो चलता हूं । यह कहकर वह पूर्व चक्रधारी वहां से चला गया।
ब्राह्मण कुमार के उस साथी ने, जिसे स्वर्ण की खान मिली थी, अपने मित्र के लौटने की बहुत प्रतीक्षा की, किन्तु जब वह नहीं लौटा तो वह उसकी खोज में निकल पड़ा। उसके पदचिन्हों को खोजता हुआ जब वह उस स्थान पर पहुंचा तो उसने अपने मित्र को खून से लथपथ पड़े हुए देखा। उसके सिर पर एक चक्र घूम रहा था। यह देखकर उसे बड़ा दुख पहुंचा।
उसने अपने मित्र से पूछा-‘मित्र! यह क्या हो गया ?’ ब्राह्मण-पुत्र बोला-‘मित्र ! यह भाग्य चक्र है। उसके सुवर्णसिद्ध मित्र द्वारा इसका कारण पूछने पर उस चक्रधारी मित्र ने उसे सारा वृत्तांत बता दिया। इस पर उसका सुवर्णसिद्ध मित्र बोला-‘मित्र !
मैंने तुम्हें कितना समझाया या कि आगे मत जाओ। किन्तु लोभ के कारण तुम नहीं माने। ब्राह्मण होने के कारण तुम्हें विद्या तो प्राप्त हो गई, कुलीनता भी मिल गई किन्तु भले-बुरे को परखने वाली बुद्धि नहीं मिली। विद्या की अपेक्षा बुद्धि का स्थान ऊंचा होता है। विद्या होते हुए भी जिसके पास बुद्धि नहीं होती, वह इसी प्रकार विनष्ट हो जाता है।
Also Read:-
- Old Stories In Hindi
- Moral Stories In Hindi For Class 3
- Story Of Animals in Hindi
- Short Moral Story In Hindi For Class 10
- Story in Hindi PDF Download
- Jungle Ki Kahani
- Dadimaa Ki Kahaniya
- Story for Child in Hindi
- Hindi Funny Story For Kids
- Panchtantra Moral Stories In Hindi
- Small Moral Stories In Hindi
- Latest Hindi Story
- Nursery Stories In Hindi
- Best Short Stories In Hindi
- Stories In Hindi Comedy
- Short Kahani Lekhan In Hindi
- Hindi short Kahani
Thank you for reading Kids Short Story For Kids In Hindi which really helps you to learn many things of life which are important for nowadays these Short Story For Kids In Hindiare very helping full for children those who are under 13. If you want more stories then you click on the above links which are also very interesting.