If you are searching for the best Short Inspirational Stories in Hindi then you are at the right place Here I’m sharing with you the 11 best Short Inspirational Stories in Hindi, I’m sure it will change your mindset which helps you to grow in your personal and professional.
विवेक के साथ कर्म Short Inspirational Stories in Hindi
तीर्थंकर महावीर ने कहा, ‘कर्म करने में तो सभी स्वतंत्र हैं, किंतु उसका फल भोगने में परतंत्र हैं। सत्कर्म का सुफल स्वतः मिलता है और दुष्कर्म की सजा प्रत्येक को भोगनी पड़ती है।
इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को विवेक के साथ ही कर्मों की ओर प्रवृत्त होना चाहिए। अशुभ कर्मों से बचते सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले को मोक्ष मिलता है।’
हुए अहिंसा को एक नया आयाम देते हुए भगवान् महावीर ने कहा, ‘वैचारिक हिंसा शारीरिक हिंसा से कम नहीं। अतः व्यक्ति को मन-वचन से अहिंसा व्रत का पालन करना चाहिए।’
अपनी बात स्पष्ट करते हुए वे कहते हैं, ‘यदि किसी को कटुवचन बोला या अपनी आँखें लाल करके क्रोध का प्रदर्शन किया, तो समझ लो कि हिंसा के पाप के भागी बन गए। Visit: hollythrive
शारीरिक क्षति पहुँचाने की अपेक्षा कई बार कटु वचन कहीं अधिक गहरा घाव कर देते हैं, जो कभी नहीं मिटते।’
इसीलिए सभी संप्रदायों के धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि वाणी का उपयोग मीठे वचन बोलने में करना चाहिए। किसी के विचारों से असहमत हैं, तब भी प्रेमपूर्वक अपनी बात कहें।
संयम व धैर्य खोकर वाक् युद्ध करनेवालों को कभी-कभी भयंकर दुष्परिणाम भोगने पड़ते हैं। स्वभाव से शांत-अहिंसक व्यक्ति भी भावावेश में आकर जब क्रूरता और हिंसा का प्रदर्शन कर बैठता है,
तो वह अपने जीवन-भर के पुण्यों को खत्म कर डालता है। इसलिए भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं, ‘धर्मानुसार किया गया कर्म ही सुपरिणामदायक होता है। मोहमाया में अंधे होकर किया गया कर्म दुष्कर्म बनकर विनाशकारी हो जाता है।
- 27+ Best Moral Stories in Hindi
- 31+ Moral Story In Hindi With Picture
- Top 10 Short Moral Story In Hindi For Class 1
- Top 10 Story in Hindi with Images for Kids
- Top 11 Best Akbar Birbal Story Hindi
- Akbar Birbal Story in Hindi with Moral
झूठ के पाँव नहीं Short Inspirational Stories in Hindi
बिहार के क्षेत्र में एक धनाढ्य रहता था। वह अपनी पुत्री मांगदिया का किसी सुंदर व श्रेष्ठ युवक से विवाह करना चाहता था। एक दिन उसने गौतम बुद्ध को देखा, तो उनके चेहरे के तेज से प्रभावित होकर अपनी पुत्री से शादी का प्रस्ताव उनके सामने रखा।
गौतम ने विनम्रता से उत्तर दिया, ‘मैं संसार त्याग चुका हूँ। विवाह कैसे कर सकता हूँ? युवती को इससे आघात लगा। कुछ दिनों बाद कौशांबी के राजा उदयन से मांगदिया का विवाह हो गया, पर विवाह के बाद भी उसके मन में बुद्ध के प्रति द्वेष बना रहा।
एक दिन रानी मांगदिया को पता लगा कि गौतम बुद्ध कौशांबी आने वाले हैं। उनके स्वागत की भव्य तैयारी की जा रही है। उसे यह सहन नहीं हुआ। उसने चुपके से पूरे शहर में प्रचार करा दिया कि गौतम बुद्ध कपटी हैं। दुष्प्रचार का असर पड़ा और नगर में पहुँचने पर बुद्ध को अपमान झेलना पड़ा।
शिष्य आनंद ने बुद्ध से कहा, ‘भंते, आप जैसे श्रमण का अपमान सहा नहीं जा रहा। बुद्ध ने कहा, ‘आनंद, झूठ के पाँव नहीं होते। सत्य सामने आता ही है। धैर्य रखो।’ बुद्ध धैर्य के साथ नगर में रुक गए।
राजा उदयन बुद्ध की महानता जानते थे। उन्हें ठेस पहुँची कि उनके राज्य में एक संत का अपमान किया गया है। वह रानी मांगदिया के साथ बुद्ध के दर्शन को गए।
उन्होंने प्रजा की अज्ञानता की माफी माँगी। बुद्ध ने कहा, ‘मेरा किसी ने अपमान नहीं किया। साधु को सम्मान की आकांक्षा नहीं करनी चाहिए। राजा-रानी और पूरी प्रजा सुखी – समृद्ध रहे, मेरा यह आशीर्वाद है।’
बुद्ध के ये शब्द सुनकर रानी की आँखों से पश्चात्ताप की अश्रुधारा बह निकली। वह उनके चरणों में झुक गई।
- Story For Moral In Hindi
- Top 10 Hindi Stories For Class 2
- Top 7 Motivational Story In Hindi For Success
- Top 11 Best Akbar Birbal ki Kahani Hindi 2022
- 10 Best Akbar Birbal Kids Story in Hindi 2022
- Top 10 Small Stories in Hindi with Moral 2022
मन बड़ा चंचल Short Inspirational Stories in Hindi
अर्जुन अवसर मिलते ही भगवान् श्रीकृष्ण के समक्ष अपनी जिज्ञासा का समाधान पाने पहुँच जाते थे। एक दिन उन्होंने पूछा, ‘हे कृष्ण, यह मन बड़ा चंचल है।
मनुष्य को भटकाता रहता है। जिस प्रकार वायु को वश में नहीं किया जा सकता, उसी प्रकार मन को वश में करना मुझे कठिन लगता है। इसे वश में करने का उपाय बताएँ।’
श्रीकृष्ण ने कहा, ‘अर्जुन, निस्संदेह मन बड़ा चंचल है यह ठहर नहीं सकता-चलायमान रहता है, परंतु अभ्यास और वैराग्य से उसे वश में किया जा सकता है। सतत् अभ्यास करनेवाला, लोभ, मोह और ममता से पूरी तरह विरत हो जाने वाला व्यक्ति निश्चय ही मन को वश में कर सकता है।’
आध्यात्मिक विभूति आनंदमयी माँ कहा करती थीं, ‘मन को वश में करने का उपाय यह है कि हम शरीर और संसार की जगह आत्मा को जानने का प्रयास करें।
मन को पवित्र एवं उत्कृष्ट विचारों के चिंतन में लगाए रखें। इसके लिए नेत्रों, कानों और जिह्वा का संयम आवश्यक है। न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न बुरा उच्चारित करें।
यदि आँखों से दूषित दृश्य देखोगे, कानों से अश्लील वार्ता सुनोगे, तो मन स्वतः दूषित हो उठेगा। इसलिए शास्त्रकारों ने कुछ समय एकांतवास करने, मौन रखने तथा सत्साहित्य का पठन-पाठन करने की ओर प्रवृत्त किया है।
आर्य संन्यासी महात्मा आनंद स्वामी सरस्वती तो यह भी कहा करते थे कि मन उसी का पवित्र रह सकता है, जो पवित्र वातावरण में रहता है। इतना ही नहीं,
जो व्यक्ति ईमानदारी और परिश्रम से अर्जित धन से प्राप्त किया सात्त्विक भोजन करता है, वही मन को वश में रखने में समर्थ हो सकता है।
- 10 Short Story In Hindi For Class 4th
- Top 10 Stories In Hindi With Moral For Class 7
- Top 10 Stories In Hindi For Children
- 10 Best Moral Stories for Child in Hindi
- 10 Hindi Short Stories with Pictures
- Short Stories in Hindi with Moral Values
भामंडल का अहंकार Short Inspirational Stories in Hindi
भामंडल नामक राजा थे तो धर्मात्मा, पर प्रमाद से ग्रस्त रहते थे। वे हर क्षण संत-महात्माओं के सत्संग के लिए आतुर रहते थे। संत कहते, ‘आप पूजा-उपासना करते हैं,
शास्त्रों का अध्ययन करते हैं, यह अच्छी बात है। अपनी बढ़ी आयु को देखते हुए राजकुमार को राज्य सौंपें और शेष जीवन आत्मोद्धार में लगाएँ।’
राजा उत्तर देते, ‘महाराज, यदि मैंने राज्य त्याग दिया, तो मेरे वियोग में रानी जीवित नहीं रहेगी और प्रजा का भी ठीक ढंग से पालन नहीं हो सकेगा।
इसी आशंका से मैं यह दायित्व छोड़ने में हिचकिचा रहा हूँ।’ एक बार उनके गुरु महल में पधारे। उन्हें जानकारी थी कि यह धर्मात्मा राजा भोग-विलास और आकांक्षाओं के प्रपंच में पड़कर अपना शेष जीवन वैराग्य में बिताने को तैयार नहीं।
गुरु ने शास्त्रों का उद्धरण देते हुए कहा, ‘भामंडल, सुयोग्य राजकुमार राज्य संभालने लायक हो गया है। अब अपनी आयु को देखते हुए राज्य का दायित्व उसे सौंपो और भोग से पूरी तरह विरत हो जाने का दृढ़ संकल्प लो। यदि ऐसा नहीं करोगे, तो भोगों के पाप के भागी बनोगे।’
राजा ने अहंकार में आकर उत्तर दिया, ‘गुरुदेव, मैंने यज्ञ और ध्यान के बल पर ऐसे पुण्य अर्जित कर लिए हैं कि भयंकर-से-भयंकर पापों को भी क्षण भर में भस्म कर डालूँगा।’
गुरु यह सुनकर हतप्रभ हो उठे। उन्हें आभास हो गया कि राजा का अहंकार मृत्यु को खुला आमंत्रण दे रहा है। कुछ ही क्षण बाद आकाशीय बिजली गड़गड़ाहट करती हुई महल पर गिरी और राजा काल के गाल में समा गए।
पद्मपुराण में कहा गया है कि सत्ता के मद में चूर होकर यम को चुनौती देने वाले को कोई शक्ति नहीं बचा सकती।
- Top 10 Hindi Moral Stories For Class 8
- Top 10 Short Story in Hindi For Class 6
- Top 10 Hindi Interesting Stories For Kids
- Best Educational Stories in Hindi
- Bhagwan ki Kahaniya
- Kids Birds Stories in Hindi
कस्तूरी कुंडल बसै Short Inspirational Stories in Hindi
संसार में जन्मा प्रत्येक जीव आनंद पाना चाहता है। आनंद अर्थात् सुख की प्राप्ति के लिए वह नए-नए प्रयोग करता रहता है। वह संसार के पदार्थों को आनंददायक समझकर हर क्षण उनकी प्राप्ति की लगा रहता है।
कोई समझता है कि धन-संपत्ति के उपयोग से ही जुगाड़ में सुख की प्राप्ति की जा सकती है। कोई सोचता है कि पत्नी व पुत्र आनंद के स्रोत हैं। कुछ लोग शक्ति और सत्ता को आनंद का साधन मानते हैं।
अधिकांश मानव बाह्य साधनों को आनंददायक मानकर अपना जीवन उनकी उपलब्धि में खपाते रहते हैं। वे सुख की खोज में पागल होकर भटकते रहते हैं। संत कबीर ने सांसारिक वस्तुओं में आनंद ढूँढ़ने वालों पर कटाक्ष करते हुए कहा है
'कस्तूरी कुंडली बसै, मृग ढूंढे बन माहिं। ऐसे घटि-घटि राम हैं, दुनिया देखै नाहिं ॥
कस्तूरी की सुगंध की खोज में मृग जंगलों में भटकता रहता है, परंतु वह यह नहीं जानता कि सुगंध बाहर नहीं, उसकी नाभि में ही विद्यमान है। इसी प्रकार-श्रीराम रूपी सच्चा आनंद तो जीव के अंदर विद्यमान है।
महर्षि याज्ञवल्क्य मैत्रेयी को उपदेश देते हुए कहते हैं, ‘सच्चा आनंद धन, संपत्ति, पत्नी-पुत्र से नहीं मिलता। सुख की प्राप्ति के लिए भटकना जीवन को निरर्थक बनाना है।
यह आनंद सर्वकाल अपने में ही विद्यमान है। जो व्यक्ति आत्मा-परमात्मा को जान लेता है, वह हर क्षण आनंदित रहने लगता है।’
स्वामी विवेकानंद ने पञ्चदशी ग्रंथ में कहा है, इयं आत्मा परमानंद परम प्रेमास्पदं यत्। अर्थात् यह आत्मा परम आनंदस्वरुप एवं परम प्रेम का आस्पद (स्थान) है।
- Top 10 Hindi Moral Story For Class 9
- Top 10 Hindi Moral Stories For Class 5th
- 27+ Ten Lines Short Stories With Moral In Hindi
- Best Animal Stories in Hindi with Moral
- Hindi Stories for Story Telling Competition
- Hindi Good Stories with Morals
गिरे हुए को उठाना Short Inspirational Stories in Hindi
एक बार ईसा मसीह को एक ऐसे व्यक्ति ने अपने घर आमंत्रित किया, जिससे लोग दुर्व्यसनी होने के कारण घृणा करते थे। ईसा खुशी- खुशी उसके घर पहुँचे, प्रेम से भोजन किया और आशीर्वाद देकर लौट आए।
ईसा के शिष्यों ने कहा, ‘आपको समाज से बहिष्कृत व्यक्ति के यहाँ नहीं जाना चाहिए था।
ईसा ने उत्तर दिया, ‘अच्छे व्यक्ति तो अच्छे हैं ही, उन्हें उपदेश देने की क्या आवश्यकता है? हमें ऐसे ही व्यक्तियों के पास जाना चाहिए, जिन्हें कुछ बातें बताकर अच्छा बनाया जा सके।’
अथर्ववेद में कहा गया है, ‘उत देवा, अवहितं देवा उन्नयथा पुनः। उतागश्चक्रुषं देवा देव जीवयथा पुनः॥ अर्थात् हे दिव्य गुणयुक्त विद्वान् पुरुषो, आप नीचे गिरे हुए लोगों को ऊपर उठाओ।
हे देवों, अपराध और पाप करनेवालों का उद्धार करो । हे विद्वानों, पतित व्यक्तियों को बार-बार अच्छा बनाने का प्रयास करो। हे उदार पुरुषों, जो पाप में प्रवृत्त हैं, उनकी आत्मज्योति को जागृत करो।’
स्वामी रामकृष्ण परमहंस कहा करते थे कि घर-बार त्यागकर साधु बने व्यक्ति का परम धर्म है कि वह जिस समाज से प्राप्त भिक्षा से प्राणों की रक्षा करता है,
उस समाज के लोगों को भक्ति और सेवा का उपदेश देता रहे। लोगों को प्रेरणा देकर ही साधु समाज के ऋण से उऋण हो सकता है। दुर्व्यसनों में लिप्त लोगों के दुर्गुण छुड़वाना,
उन्हें सच्चा मानव बनाने का प्रयास करना, साधु का कर्तव्य है। यह कार्य वही संत कर सकता है, जो स्वयं दुर्व्यसनों से मुक्त हो। परमहंसजी स्वयं दोषों से मुक्त थे, इसलिए वे पतितों के आमंत्रण को स्वीकार करने में नहीं हिचकिचाते थे।
- Top 10 Stories In Hindi With Moral Values
- Top 10 Moral Stories In Hindi Very Short
- Top 10 Stories In Hindi For Reading
- 4 Interesting Moral Stories in Hindi Language
- Real Horror Story in Hindi 2022
- Short Story For Kids In Hindi
मुक्ति प्राप्त की Short Inspirational Stories in Hindi
भगवान् बुद्ध धर्म प्रचार करते हुए काशी की ओर जा रहे थे। रास्ते में जो भी उनके सत्संग के लिए आता, उसे वे बुराइयाँ त्यागकर अच्छा बनने का उपदेश देते।
उसी दौरान उन्हें उपक नाम का एक गृहत्यागी मिला। वह गृहस्थ को सांसारिक प्रपंच मानता था और किसी मार्गदर्शक की खोज में था। भगवान् बुद्ध के तेजस्वी व निश्छल मुख को देखते ही वह मंत्रमुग्ध होकर खड़ा हो गया।
उसे लगा कि पहली बार किसी का चेहरा देखकर उसे अनूठी शांति मिली है। उसने अत्यंत विनम्रता से पूछा, ‘मुझे आभास हो रहा है कि आपने पूर्णता को प्राप्त कर लिया है?’
बुद्ध ने कहा, ‘हाँ, यह सच है। मैंने निर्वाणिक अवस्था प्राप्त कर ली है। उपक यह सुनकर और प्रभावित हुआ। उसने पूछा, ‘आपका मार्गदर्शक गुरु कौन है?’
बुद्ध ने कहा, ‘मैंने किसी को गुरु नहीं बनाया। मुक्ति का सही मार्ग मैंने स्वयं खोजा है। ‘क्या आपने बिना गुरु के तृष्णा का क्षय कर लिया है?’ उसने पूछा। बुद्ध ने कहा, ‘हाँ, मैं तमाम प्रकार के पापों के कारणों से पूरी तरह मुक्त होकर सम्यक् बुद्ध हो गया हूँ।
उपक को लगा कि बुद्ध अहंकारवश ऐसा दावा कर रहे हैं। कुछ ही दिनों में उसका मन भटकने लगा। एक शिकारी की युवा पुत्री पर मुग्ध होकर उसने उससे विवाह कर लिया।
फिर उसे लगने लगा कि अपने माता पिता व परिवार का त्यागकर उनसे एक प्रकार का विश्वासघात किया है। वह फिर बुद्ध पास पहुँचा। संशय ने पूर्ण विश्वास व श्रद्धा का स्थान ले लिया। वह बुद्ध की सेवा-सत्संग करके स्वयं भी मुक्ति पथ का पथिक बन गया।
- Top 10 Moral Stories In Hindi For Class 3
- Top 10 Story Of Animals in Hindi
- Top 10 Short Moral Story In Hindi For Class 10
- Top 10 Old Stories In Hindi
- Top 10 Hindi short Kahani for children
दूसरों के हक पर डाका Short Inspirational Stories in Hindi
नीतिशास्त्रों और धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि जो आवश्यकता से अधिक धन-संपत्ति का संग्रह करता है और अर्जित धन का अंश सेवा परोपकार में नहीं लगाकर भोग-विलास पर खर्च करता है, वह दूसरे के हक पर डाका डाल रहा है।
भगवान् श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं, यज्ञशिष्याशिनः सन्तो मुच्यन्ते पचन्त्यामकारणात्। अर्थात् सबको देकर उसके बाद जो कुछ बचे, उससे अपना काम चलाएँ। जो बचा धन है, वही यज्ञावशेष है।
आध्यात्मिक विभूति महर्षि रमण ने कहा, ‘हमेशा यह मानो कि मेरे पास जो धन-संपत्ति है, वह मेरी नहीं, भगवान् की है। मैं तो मात्र उसका प्रबंधकर्ता हूँ।’
महर्षि नारदजी ने भी कहा है, ‘जो जीवनयापन करने से अधिक संपत्ति को अपनी मानकर उसका उपयोग करता है, वह दंड का पात्र है। अतः जरूरत से अधिक धन का परोपकार में,
अपंगों की सहायता में उपयोग करना ही मानवीय कर्तव्य है।’ इसलिए भगवान् बुद्ध और महावीर ने भी अपरिग्रह को पुण्य और परिग्रह को पाप बताया है।
पुराणों में महाराजा शिवि की कथा आती है। उन्हें स्वर्ग भेजे जाने का आदेश हुआ। शिवि ने कहा, मेरी यह अभिलाषा है कि जितने दुःखी हैं, सब सुखी हो जाएँ। मेरे पुण्य दुःखियों के दुःख दूर करने में लगा दिए जाएँ।
संत-महात्मा भगवान् को दीनबंधु कहते हैं, जो दीनों के हृदय में वास करते हैं। स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, महर्षि रमण आदि विभूतियाँ अपंगों, बीमारों,
कोढ़ियों को साक्षात् भगवान् मानकर उनकी सेवा में तत्पर रहते थे। समाज से अर्जित अथाह धन-संपत्ति को जो लोग भोग-विलास में उड़ाते हैं, वे देर-सवेर संकटों में घिरकर नष्ट हो जाते हैं।
क्रोध कदापि न करो Short Inspirational Stories in Hindi
ईसा मसीह ने अपने शिष्यों को आदेश दिया, ‘अच्छाई का प्रचार-प्रसार करो। केवल उपदेश देने में समय न गँवाना, अपने हाथों से रोगियों, असहायों व अनाथों की सेवा का आदर्श भी उपस्थित करना जरूरी है।’
ईसा ने एक प्रकार के दीक्षांत भाषण में कहा, ‘अपना उद्देश्य निर्धारित करो कि बीमारों को निरोग बनाना है, दुष्टात्माओं को दुर्व्यसनों से मुक्ति दिलाकर अच्छे रास्ते पर चलाना है।
किसी के घर में प्रवेश करते ही प्रेमपूर्वक उसकी सहायता की पेशकश करनी है। यदि कोई स्वागत न करके कटु वचन बोले, तो भी उस पर क्रोध कदापि न करना।
ईसा जानते थे कि धन संग्रह की प्रवृत्ति भय, कलह आदि को जन्म देती है। इसलिए उन्होंने कहा, ‘अपने बटुओं में सोना, चाँदी, सिक्के आदि बिलकुल न रखना। अधिक वस्त्रों का संग्रह न करना। भिक्षा में जो भोजन मिल जाए, उसी से संतुष्ट रहना।
ईसा को यह भी मालूम था कि जब दुष्ट प्रवृत्ति के लोग उनका उत्पीड़न करने से बाज नहीं आए, तो शिष्यों को भी ऐसे कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।
इसलिए उन्होंने कहा, ‘लोग तुम्हारा विरोध करेंगे, यहाँ तक कि कोड़े भी मारेंगे। बहुत सावधानीपूर्वक शांति व धैर्य बनाए रखना। यह समझ लेना कि वह शरीर को क्षति पहुँचा सकते हैं, आत्मा को नहीं।
सत्य, अहिंसा पर अटल रहने वाले को कोई नहीं मार सकता।’ ईसा ने कहा था, ‘यह अच्छी तरह जान लो कि जो तुम्हारा तिरस्कार करता है, वह मेरा तिरस्कार करता है और जो मेरा तिरस्कार करता है, वह उसका तिरस्कार करता है, जिसने मुझे भेजा है।’
- Panchtantra Moral Stories In Hindi
- Top 10 Small Moral Stories In Hindi
- Top 10 Nursery Stories In Hindi
प्रेम ही तो भगवान् है Short Inspirational Stories in Hindi
सभी धर्मों के पहुँचे हुए संत-महात्माओं ने प्रेम को ही भगवान् का साक्षात् स्वरूप माना है। देवर्षि नारद भक्ति सूत्र में कहते हैं, ‘अनिर्वचनीयं प्रेमस्वरूपम्।’ अर्थात् भगवान् साक्षात् प्रेम स्वरूप हैं।
स्वामी रामतीर्थ के पास एक जिज्ञासु आया। उसने प्रश्न किया कि भगवान् के दर्शन और अनुभूति का क्या उपाय है?
रामतीर्थजी ने उससे पूछा, ‘क्या तुमने कभी किसी से प्रेम किया है?’ उसने उत्तर दिया, ‘मैंने शुरू से ही संसार व सांसारिक लोगों से यहाँ तक कि अपने से भी कभी प्रेम नहीं किया।’
इस प्रकार रामतीर्थ का जवाब था, ‘तुम जैसा नीरस व्यक्ति प्रेम स्वरूप भगवान् के दर्शन कैसे कर सकता है? वल्लभ संप्रदाय के आचार्य गोस्वामी गोकुलनाथजी के पास संसार से ऊबा हुआ एक व्यक्ति पहुँचा।
उसने कहा, ‘महाराज, मैंने जीवन का यह निष्कर्ष निकाला है कि गृहस्थ जीवन में कोई सार नहीं है । मैं आपकी शरण में आया हूँ। मुझे भगवत्प्रेम की ओर उन्मुख करने की कृपा करें। गोस्वामीजी ने पूछा, ‘क्या गृहस्थ जीवन में रहते हुए किसी से राग-प्रेम की अनुभूति हुई है?’
उसने कहा, ‘महाराज, देह, गेह, पत्नी, पुत्र, पौत्र – ये सब स्वार्थी हैं। सांसारिक प्रेम-राग को मैं छलावा मानता हूँ।’ गोस्वामीजी ने कहा, ‘हमारे संप्रदाय में प्रेम उत्पन्न करने का कोई साधन नहीं बताया गया है।
हम तो यह मानते हैं कि मानव ही नहीं, प्रेम तो प्राणी मात्र, यहाँ तक कि जीव-जंतुओं के भी स्वभाव में होता है। संत -महात्मा केवल इतना कार्य करते हैं कि पहले से विद्यमान प्रेम की धारा को भगवान् की ओर मोड़ने का अभ्यास कराते हैं।
- Top 10 Best Short Stories In Hindi 2022
- Top 10 Stories In Hindi Comedy
- Top 10 Short Kahani Lekhan In Hindi
- Top 10 Best Latest Hindi Story
- Top 10 New Story for Child in Hindi
- Top 10 Best Funny Story in Hindi with Moral
सच्चा पारखी Short Inspirational Stories in Hindi
भगवान् बुद्ध ने पहले ही कह दिया था कि चार महीने बाद वे परिनिर्वाण प्राप्त कर लेंगे। यह पता चलते ही विहार में रहने वाले सभी भिक्ष व्यथित हो उठे। सभी की आँखों में आँसू थे।
धम्माराम नामक भिक्षु न व्यथित हुआ और न रोया। वह उसी समय से गहरे ध्यान में खोया रहने लगा। सबसे मिलना-जुलना बंद कर एकांतवास करने लगा।
भिक्षु उससे पूछते, ‘सुस्त क्यों हो?’ वह उनकी बात का उत्तर नहीं देता। साथी भिक्षुओं को लगा कि साधना के अभिमान में धम्माराम उनकी उपेक्षा कर रहा है।
भिक्षुओं में सुगबुगाहट होने लगी। कुछ गौतम बुद्ध के पास पहुंचे और उनको धम्माराम के अपमानजनक व्यवहार के बारे में बताया। भगवान् बुद्ध ने धम्माराम को अपने पास बुलवाया और स्नेह से पूछा, ‘तूने अन्य भिक्षुओं से बात करना क्यों बंद कर दिया?’
- Child Hindi Moral Story Download
- Child Story in Hindi Free Download
- Story in Hindi with Moral PDF
- Best Stories in Hindi PDF for Kids
- Story in Hindi PDF Download
Thank you for Reading these Short Inspirational Stories in Hindi I’m sure it will help you to grow in your life and also it will change your mindset with these Short Inspirational Stories.