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Home»Stories In Hindi»टिटिहरी और समुद्र Kids Birds Stories in Hindi हिंदी में 2023
Kids Birds Stories in Hindi 25E0 25A4 25B9 25E0 25A4 25BF 25E0 25A4 2582 25E0 25A4 25A6 25E0 25A5 2580 2B 25E0 25A4 25AE 25E0 25A5 2587 25E0 25A4 2582

टिटिहरी और समुद्र Kids Birds Stories in Hindi हिंदी में 2023

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By Ankit on February 20, 2020 Stories In Hindi
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Birds Stories in Hindi:- Here I’m sharing with you the top Birds Stories in Hindi which are really amazing and awesome these Birds Stories in Hindi will teach you lots of things and give you an awesome experience. You can share with your friends and family and these moral stories will be very useful for your children or younger siblings.  

Kids Birds Stories in Hindi हिंदी में

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टिटिहरी और समुद्र New Birds Stories in Hindi

टिटिहरी और समुद्र New Birds Stories in Hindi

किसी समुद्र के किनारे एक स्थान में टिटिहरी का एक जोड़ा रहता था। कुछ दिनों बाद टट्टी (मादा-टिटिहरी) ने गर्भ धारण किया।   जब उसके प्रसव का समय निकट आया तो उसने अपने पति से कहा-‘स्वामी ! मेरे प्रसव का समय पूरा हो चुका है।

आप किसी ऐसे स्थान की खोज कीजिए जो सुरक्षित हो और जहां मैं शांतिपूर्वक अपना अंडा दे सकूं।”   टिट्टिमी की बात सुनकर टिट्टिम (टिटिहरा) बोला-‘प्रिये ! समुद्र का यह भाग अत्यंत रमणीक है।

मेरे विचार से तुम्हारे प्रसव के लिए यही स्थान उपयुक्त रहेगा।’ ‘पर यहां तो पूर्णिमा के दिन समुद्र में ज्वार आता है।   उसमें तो बड़े-बड़े हाथी तक बह जाते हैं। अतः हमें यहां से दूर किसी अन्य स्थान पर चले जाना चाहिए।’

‘कैसी बातें करती हो प्रिये ? समुद्र की क्या मजाल कि वह मेरे बच्चों को बहाकर ले जाए। तुम निश्चिंत होकर यहीं प्रसव करो।   पराजय या तिरस्कार के भय से अपने स्थान को त्याग देने वाले जीव को जन्म देकर यदि उसकी माता स्वयं को पुत्रवती समझती है तो फिर बांझ कौन-सी कही जाएगी?’ समुद्र ने टिट्टिम की बातें सुन लीं।  

वह सोचने लगा कि ‘इस तुच्छ-से पक्षी को कितना अभिमान हो गया है। आकाश की ओर टांगें करके यह इसलिए सोता है कि गिरते हुए आकाश को अपने पैरों पर रोक लेगा कौतूहल के लिए इसकी शक्ति को भी देखना चाहिए।  

इसके अंडों का अपहरण करना चाहिए, फिर देखता हूं कि यह क्या करता है ? बस फिर क्या था, टिट्टिमी ने जब अंडे दिए और अडों को असुरक्षित छोड़कर जब दोनों भोजन की तलाश में बाहर निकले तो समुद्र ने लहरों के बहाने उनके अंडों का अपहरण कर लिया।

  लौटने पर टिट्टिमी ने अपने अंडों को नहीं देखा तो वह विलाप करती हुई अपने पति से कहने लगी-‘मैंने पहले ही कहा था कि समुद्र की लहरें मेरे अंडों को नष्ट कर देंगी, किंतु अपनी मूर्खता और घमंड के कारण तुमने मेरी बात नहीं मानी।  

किसी ने ठीक ही कहा है कि जो व्यक्ति अपने मित्र एवं हितचिंतकों की बात पर ध्यान नहीं देता, वह अपनी मूर्खता के कारण उसी प्रकार विनष्ट हो जाता है जैसे वह मूर्ख कछुआ हुआ था।’  

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कौए की चतुराई Amazing Birds Stories in Hindi

कौए की चतुराई Amazing Birds Stories in Hindi

किसी वन-प्रदेश में बरगद का एक विशाल वृक्ष था । उस वृक्ष पर एक कौआ-कौई घोंसला बनाकर रहते थे। वृक्ष के नीचे ही एक बिल में एक काला नाग रहता था।  

वह नाग लोक के नन्हे-नन्हे बच्चों को उनके पंख निकलने से पहले ही खा जाता था। दोनों इससे बहुत दुखी थे। अन्त में दोनों ने अपनी दुख-भरी व्यथा वृक्ष के नीचे रहने वाले एक गीदड़ को सुनाई और उससे यह भी पूछा कि अब क्या किया जाए।  

गीदड़ ने कहा-‘शत्रु पर उपाय द्वारा विजय प्राप्त करना अधिक आसान है। एक बार एक बगुला बहुत-सी उत्तम, मध्यम, अधम मछलियों को खाकर प्रलोभनवश एक केकड़े के हाथों उपाय से ही मारा गया था।  

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बगुला भगत Interesting Birds Stories in Hindi

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किसी वन-प्रदेश में एक बहुत बड़ा सरोवर था। उसमें भांति-भांति के जलचर निवास करते थे। उसके समीप ही मछलियों को मारने में सर्वथा असमर्थ एक बगुला भी रहता था।  

अपनी भूख का कोई उपाय न पाकर एक दिन वह बगुला उस सरोवर के किनारे बैठकर अश्रु-प्रवाह करने लगा। उसको इस प्रकार रोता देखकर एक केकड़ा उसके समीप आया और बोला-‘मामा ! क्या बात है,  

आज आप भोजन की व्यवस्था न कर इस प्रकार अश्रु-प्रवाह कर रहे हैं ?’बगुला बोला-‘वत्स ! मैंने जीवन में अनेक पाप किए हैं। अब जब इस बात का ज्ञान हुआ तो मैंने निश्चय किया है कि मैं अपने प्राणों की आहुति दे दूं,   इसलिए मैं समीप आई मछलियों को भी नहीं पकड़ रहा हूं।

मैं इसी तालाब के समीप जनमा, यहीं बड़ा हुआ और यही पर वृद्ध हो गया हूं। सुना है, शीघ्र ही बारह वर्ष की अनावृष्टि (सूखा) भी होने वाली है।’  

केकड़े ने बगुले के मुख से यह बात सुनकर अन्य सब जलचरों को भी भावी दुर्घटना की सूचना दी तो जलाशय के सारे जीव, मछलियां, कछुए,   आदि बगुले के पास पहुंच गए और उससे पूछना आरंभ कर दिया—’मामा ! क्या किसी उपाय से हमारी रक्षा हो सकती है ?

बगुला बोला-‘यहां से थोड़ी दूर पर एक प्रचुर जल से भरा जलाशय है।   वह इतना बड़ा है कि चौबीस वर्ष सूखा पड़ने पर भी न सूखे। तुम यदि मेरी पीठ पर बैठकर वहां पहुंच जाओगे तो सुरक्षित रहेगा।”

यह सुनकर सभी मछलियों, कछुओं तथा अन्य जलजीवों ने बगुले को भाई,   मामा, चाचा पुकारते हुए उसे चारों ओर से घेर लिया और ‘पहले मुझे, पहले मुझे’ कहते हुए चिल्लाना शुरू कर दिया। बगुला तो था ही स्वभाव से दुष्ट,  

उनमें से वह किसी एक को अपनी पीठ पर लादकर ले जाता ओर उस तालाब से थोड़ी दूर जाकर पत्थर पर उसको पटककर खा जाता। वहीं आराम करता और वापस आकर कह देता कि उसे यथास्थान पहुंचा दिया है।

  इस प्रकार उसका जीवन आनंद से गुजर रहा था। भरपेट आहार मिलने के कारण अब वह मोटा भी हो गया था। एक दिन वही केकड़ा बगुले के पास पहुंचा और बोला-‘मामा ! सबसे पहले मैं ही आपसे मिला था।  

किंतु आप तो मुझे छोड़कर दूसरों को ही ले जा रहे हैं आज तो मुझे ही ले चलिए।’ इस प्रकार वह उस कपड़े को लेकर पत्थर के समीप पहुंचा, जहां पर पटककर वह मछलियों को मारा करता था।  

दूर से अस्थियों का ढेर देखकर केकड़े को संदेह हो गया। उसने बगुले से पूछा-‘मामा ! कहां है वह सरोवर ?’ बगुला समझ गया कि केकड़ा अब कुछ नहीं कर सकता है, इसलिए इसे वास्तविकता बता ही देनी चाहिए।  

अतः उसने कहा-‘अरे मूर्ख ! कैसा सरोवर? यह तो मैंने अपने भोजन का उपाय किया है। अब तुम अपने इष्टदेव का स्मरण कर लो, क्योंकि मैं शीघ्र ही इस शिला पर तुम्हें पटकने वाला हूं।’

  बगुले का इतना कहना था कि केकड़े ने उसकी गरदन पर इतनी जोर से दांत गड़ाए कि बगुले के प्राण ही निकल गए। केकड़ा उस बगुले की गरदन लेकर किसी प्रकार या-हारा अपने सरोवर पर वापस आ गया।  

उसको देखकर जलाशय के जलचर आश्चर्य से पूछने लगे-‘अरे कुलीरक ! तुम वापस क्यों आ गए ?’ केकड़ा हंसकर कहने लगा-‘अरे मूर्यो ! कहीं कोई दूसरा सरोवर भी नहीं है।  

वह दुष्ट बगुला धोखा देकर यहां से थोड़ी दूर स्थित एक शिलाखंड पर पटककर सभी जलचरों को खा गया है। आयु शेष रहने के कारण मैं उस विश्वासघाती के अभिप्राय को समझ गया और उसे मारकर उसकी गरदन यहां ले आया हूँ।  

अव डरने की कोई बात नहीं। इस कथा को सुनाकर गीदड़ ने कहा-‘इसलिए कहता हूं कि उपाय द्वारा ही एक छोटे-से केकड़े ने उस बगुले का अंत कर डाला था।’

‘पर यह दुष्ट सर्प किस तरह और कैसे मारा जा सकेगा,   वह उपाय तो बताइए भद्र ?’ कौए ने पूछा। गीदड़ ने कहा—’तुम किसी ऐसे नगर में चले जाओ, जहां राजा निवास करता हो। वहां जाकर किसी भी प्रकार राजा,  

उसके मंत्री अथवा किसी धनी व्यक्ति को असावधान पाते ही उसका कंठहार या कोई कीमती आभूषण उठा लाओ। और उस कंठहार या आभूषण को ले जाकर सर्प के बिल में डाल दो।’  

गीदड़ के परामर्श के अनुसार कौआ और कौई दोनों नगर की ओर उड़ गए। एक तालाब के किनारे जाकर कौई ने देखा कि उस सरोवर में किसी राजा की रानियां जल के किनारे अपने कीमती आभूषणों को उतारकर जलक्रीड़ा कर रही हैं।  

कौई ने उनमें से एक कंठहार उठाया और उसे लेकर उड़ गई। रानियों के शोर मचाने पर राजा के सेवक उसके पीछे डंडे लेकर दौड़ पड़े। कौई ने वह कंठहार ले जाकर सर्प के बिल में डाल दिया।  

सेवकों ने वहां पहुंचकर जब वह कंठहार एक सर्प के बिल के पास देखा तो उन्होंने उसे उठाने का प्रयास किया। तभी पदचाप सुनकर सर्प बाहर निकल आया और फन फैलाकर कंठहार के ऊपर कुंडली मारकर बैठ गया।  

राजसेवकों ने डंडों से तत्काल उस विषधर को मार डाला और कंठहार लेकर वापस लौट गए। इस कथा को समाप्त कर दमनक ने कहा-‘इसलिए कहता हूं कि जो काम उपाय द्वारा किया जा सकता है, वह पराक्रम के नहीं किया जा सकता।  

कहा भी गया है कि जिसके पास बुद्धि होती है, उसी के पास बल भी होता है। बुद्धि के बल पर ही एक छोटे-से खरगोश ने एक बलशाली सिंह को समाप्त कर दिया था।’

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Thank you for reading Amazing Birds Stories in Hindi which really helps you to learn many things of life which are important nowadays these Birds Stories in Hindi are very helping full for children those who are under 18. If you want more stories then you click on the above links which are also very interesting.

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Ankit

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