Short Stories in Hindi with Moral Values:- Here I’m sharing with you the top 9 Short Stories in Hindi with Moral Values which is really amazing and awesome these Short Stories in Hindi with Moral Values will teach you lots of things and give you an awesome experience. You can share with your friends and family and these moral Nursery stories will be very useful for your children or younger siblings.
Top 9 Short Stories in Hindi with Moral Values 2022
- दो मेंढक
- जो बोलो, वही करो
- अनोखा इलाज
- अलग-अलग तरीके
- बुद्धिमान मोनू
- किसान और डाकू
- दोषी कौन?
- पत्थर काटने वाला
- अंधा लालच
1. दो मेंढक New Short Stories in Hindi with Moral Values
एक जगह दो मेंढक रहते थे। एक मेंढक मोटा था और दूसरा पतला था। एक दिन, भोजन की तलाश करते हुए वे दोनों ही एक दूध के डिब्बे में गिर गए।
दूध के बर्तन के किनारे बहुत चिकने थे जिससे वे बर्तन से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। इसलिए वे बर्तन में ही तैरते रहे। तभी, मोटा मेंढक पतले मेंढक से बोला, “भाई! दूध में और तैरने का कोई फायदा नहीं है।
हम बस डूबने ही वाले हैं। अच्छा है कि हम हार मान लें।” पतले मेंढक ने जवाब दिया, “रुको भाई! अभी तैरते रहो। कोई न कोई हमें ज़रूर बाहर निकाल देगा।” और वे कई घंटे बर्तन में तैरते रहे।
थोड़ी देर के बाद, मोटा मेंढक बोला, “भाई! कोई फायदा नहीं है। मैं अब बहुत थक चुका हूं। मैं तैरना बंद करके डूबने जा रहा हूं। इसके इलावा और कोई रास्ता नहीं है।
यहां हमारी मदद करने कोई भी नहीं आने वाला है।” लेकिन पतला मेंढक कहने लगा, “कोशिश करते रहो। तैरते रहो। कुछ न कुछ ज़रूर हो जाएगा, तैरते रहो।”
कुछ घंटे फिर बीत गए। मोटा मेंढक कहने लगा, अब मैं और नहीं चल सकता। तैरते रहने में कोई समझदारी नहीं है क्योंकि हम हर हाल में डूबने वाले हैं इससे कोई फायदा नहीं होने वाला।”
इतना कह कर मोटा मेंढक रुक गया। उसने तैरना छोड़ दिया और दूध में डूब गया। लेकिन पतला मेंढक हिम्मत करके तैरता रहा। दस मिनट के बाद, पतले मेंढक को अपने पैरों के नीचे कुछ सख्त चीज जैसा महसूस हुआ।
उसके लगातार तैरते रहने से दूध मथ कर मक्खन बन चुका था। वह मक्खन के ढेर पर चढ़ गया और वहां से आसानी से कूद कर, बर्तन से बाहर निकल आया।
शिक्षाः उम्मीद का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
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2. जो बोलो, वही करो in Hindi Short Stories with Moral Values
एक बार, एक छोटे से गांव में एक बूढ़ा आदमी अकेला रहता था। वह कई बार कहता था, “मेरा कोई परिवार नहीं है। अच्छा हो अगर मैं खुद को मार रोज़ सुबह, वह जंगल जाता था।
वह कुछ पेड़ों को काट कर उनको गट्ठर में बांध लेता था। और उन्हें बाज़ार ले जाकर बेच देता था। उन पैसों से वह अपने खाने के लिए कुछ चीजें खरीद लेता था। एक बार, उसे बहुत तेज बुखार हो गया।
लेकिन, फिर भी वह काम करने चला गया, क्योंकि अगर वह काम न करता, तो खाने व दवा के लिए पैसे कहां से लाता। जब वह लकड़ियों का गट्ठर लेकर लौट रहा था तो उसने फिर वही कहा,
“ऐसा कोई भी नहीं है, जो मेरी सहायता कर सके। मैं चाहता हूं कि यमराज आए और आकर मुझे ले जाएं।” उसी समय, वहां से गुजर रहे मृत्यु के देवता, यमराज ने उस बूढ़े व्यक्ति की बात सुनी।
उन्होंने, उस बूढ़े व्यक्ति के पास जाकर कहा कि अगर वह चाहे तो उनके साथ स्वर्ग जा सकता है। लेकिन बूढ़ा व्यक्ति बोला, “ओह! मैं तो कुछ मदद की बात कर रहा था।”
यमराज ने उस बूढ़े व्यक्ति की गठरी उठाने में मदद की और मन ही मन मुस्करा उठे।
शिक्षाः हमें अपने हालात को कभी भी कोसना नहीं चाहिए।
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3. अनोखा इलाज Kids Short Stories in Hindi with Moral Values
एक बार एक राजा था। वह बहुत आलसी था। वह शायद ही अपने हाथ से कोई काम करता था। इसका नतीजा यह हुआ कि वह बीमार रहने लगा।
उसने राजवैद्य को बुलाया और कहा, “मुझे स्वस्थ रहने के लिए दवा दो। अगर तुमने मेरा इलाज नहीं किया, तो मैं तुम्हारी हत्या करवा दूंगा।” राजवैद्य यह बात जानता था कि राजा की बीमारी की वजह उसका आलस ही है।
अगले दिन, राजवैद्य ने राजा को बड़े-बड़े डम्बल देकर कहा, “महाराज! आप को इन जादुई गेंदों को हाथ में लेकर सुबह-शाम, दोनों समय आधे घंटे झुलाना है। और ऐसा तब तक करना है, जब तक आपकी बांहों को पसीना न आ जाए।
इस तरह आप स्वस्थ हो जाएंगे।” राजा ने ऐसा रोज़ किया। राजा को यह पता नहीं था कि यह एक व्यायाम है। कुछ सप्ताह के अंदर ही राजा ठीक हो गया।
अब राजा को काफी चुस्ती व फुर्ती महसूस हो रही थी। उसने राजवैद्य को धन्यवाद दिया और उनसे इलाज का रहस्य पूछा। राजवैद्य ने बड़ी बुद्धिमानी से उत्तर दिया, “महाराज! जब तक आप इन गेंदों को हिलाते रहेंगे, तब तक इस इलाज का जादू आपको ठीक रखेगा।
जिस दिन आपने ऐसा करना बंद कर दिया, उस दिन से आप फिर से बीमार हो जाएंगे।” राजवैद्य ने राजा को स्वस्थ रहना सिखा दिया था।
शिक्षा: स्वस्थ रहने के लिए आलस को छोड़ना ज़रूरी है।
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4. अलग-अलग तरीके Short Stories in Hindi with Moral Values for Class 2
एक बार, एक बूढ़ा आदमी एक धार्मिक सभा में भाग लेने जा रहा था। उधर, एक युवक भी अपने घर से निकला। उसे अपनी पत्नी से मिलने जाना था।
वे अपने-अपने रास्ते जा रहे थे। एक जगह पर, उन दोनों के रास्ते आपस में मिल गए और सड़क पर उनकी मुलाकात हुई। जल्द ही, उन दोनों यात्रियों की आपस में बातचीत शुरू हो गयी वे दोनों एक-दूसरे के मित्र कैसे हो गए।
बूढ़े आदमी ने युवक से कहा, “तुम मेरे साथ धार्मिक सभा में भाग लेने क्यों नहीं चलते?तुम भी वहां कुछ धार्मिक बातें सीख सकोगे।” “जी नहीं, आपका धन्यवाद।
मैं सोचता हूं कि आप मेरे साथ मेरी पत्नी से मिलने चलें। आप हमारे साथ शानदार भोजन भी कर सकते हैं। वह बहुत बढ़िया भोजन बनाती है।”
लेकिन बूढ़े आदमी व्यक्ति ने मना कर दिया। जल्द ही, दोनों मित्र अपने-अपने रास्ते चल दिए। लेकिन धार्मिक सभा में, बूढ़ा आदमी उस स्वादिष्ट भोजन के बारे में सोचता रहा, जो वह खा सकता था।
और वहीं दूसरी ओर, वह युवक उन धार्मिक बातों के बारे में सोच रहा था, जो वह सुन सकता था।
शिक्षाः इंसान हमेशा उन्हीं चीजों के बारे में सोचता है जो दूसरों के पास होती हैं।
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5. बुद्धिमान मोनू Best Short Stories in Hindi with Moral Values
एक छोटा-सा बच्चा था। उसका नाम था सोना। वह बहुत नटखट था लेकिन वह बहुत बुद्धिमान और हाज़िरजवाब था। एक दिन, मोनू की मां ने उसे कुछ फल और सब्जियां लाने दुकान पर भेजा।
मोनू ने कुछ सब्जियां खरीदी और फिर वह एक फल बेचने वाले के पास गया। उसने आधा किलो नाशपतियां खरीदीं। लेकिन फल बेचने वाला बेईमान आदमी था।
उसने बेईमानी से केवल साढ़े तीन सौ ग्राम नाशपतियां ही तोल कर दीं। मोनू ने यह देखा तो बोला, “यह तो आधा किलो नाशपतियां नहीं हैं। यह कम दिखाई देती हैं।”
“नहीं, ये बिल्कुल ठीक है, और वैसे भी तुम्हें इन्हें घर ले जाने में आसानी होगी।” मोनू एक चतुर लड़का था। उसने तीन सौ पचास ग्राम वजन के पैसे दिए।
फल बेचने वाला कहने लगा, “मैंने तुम्हें आधा किलो नाशपतियां दी हैं। तुम मुझे कम पैसे दे रहे हो।” मोनू ने कहा, “नहीं, पैसे बिल्कुल ठीक हैं।
और इसके साथ ही इन्हें गिनने और अपनी जेब में डालने में भी तो तुम्हें आसानी होगी।” फल बेचने वाला यह सुन कर बहुत शर्मिंदा हुआ।
शिक्षा: जैसे को तैसा।
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6. किसान और डाकू Interesting Short Stories in Hindi with Moral Values
एक बार रात के समय, एक किसान पशु मेले से अपने घर वापस लौट रहा था। उसने मेले में एक भैंस खरीदी थी। जब वह जंगल से होकर गुज़र रहा था,
तो एक डाकू उसके सामने आकर खड़ा हो गया। उसके हाथ में एक मोटी सी छड़ी थी। वह बोला, “तुम्हारे पास जो कुछ भी है, सब मुझे दे दो।” किसान बहुत डर गया था।
उसने अपने सारे पैसे डाकू को दे दिए। जैसे ही वह जाने को हुआ तो डाकू बोला, “मुझे यह भैंस भी दे दो। तुम इसे क्यों ले जा रहे हो?” किसान ने भैंस की रस्सी भी डाकू को थमा दी। तब किसान बोला, “तुमने मुझसे मेरा सब कुछ ले लिया है।
क्या तुम मुझे अपनी छड़ी दे सकते हो?” “तुम्हें इस छड़ी की क्या ज़रूरत है?” डाकू ने प्रश्न किया। “मेरी पत्नी यह जानकर खुश होगी कि में मेले से कम से कम एक छड़ी तो लाया हूं।”
डाकू ने वह छड़ी किसान को दे दी। किसान ने उसी छड़ी से डाकू को पीटना शुरू कर दिया। डाकू अपनी जान बचाने के लिए भाग खड़ा हुआ।
किसान के पैसे और भैंस वहीं छूट गई। इस प्रकार किसान ने अपने आप को और अपने सामान को बचा लिया। शिक्षाः मुसीबत में हमें धैर्य और बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए।
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7. दोषी कौन? Awesome Short Stories in Hindi with Moral
एक दिन, रोहित समुद्र के तट पर टहलने चला गया। उसने देखा कि यात्रियों से भरा हुए एक जहाज एक चट्टान से टकरा कर उलट गया है। जहाज पानी में नीचे डूब गया और जहाज में बैठे सभी यात्री समुद्र में गिर गए।
तैरना नहीं जानने के कारण, वे डूबने लगे। रोहित ने समुद्र के किनारे से वह सब कुछ देखा लेकिन वह उन लोगों की मदद के लिए कुछ भी नहीं कर सकता था।
शाम के समय, उसने अपने मित्रों को जहाज के डूबने की सारी घटना सुनाई। यह सुनकर सभी बहुत दुःखी हुए। एक मित्र बोला, “यह भगवान का न्याय नहीं है।
जहाज पर सवार एक पापी को सज़ा देने के लिए, उसने कई मासूम लोगों को मौत दे दी।” जब वह यह बात कह रहा था, उसी समय उसे महसूस हुआ कि जैसे किसी ने उसके पैर पर चिकोटी काट ली हो।
उसने नीचे झुक कर देखा। एक लाल चींटी उसके पैर को काट रही थी। उसके पैर के पास और भी कई लाल चींटियां थीं। गुस्से में आकर, उसने लाल चींटियों को मारने के लिए अपना पैर पटकना शुरू कर दिया।
रोहित ने अपने मित्र से कहा, “देखो, तुम भी कैसे बाकी मासूम चींटियों का मार रहे हो, जबकि तुम्हें एक लाल चींटी ने काटा है। और तुम भगवान को उसके अन्याय के लिए कोस रहे थे।”
उसका वह मित्र बहुत शर्मिंदा हुआ। उसे अपनी गलती पता चल गयी थी।
शिक्षाः किसी पर भी दोष लगाने से पहले अपने आप को देखो।
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8. पत्थर काटने वाला Latest Short Stories with Moral Values
एक समय की बात है, कहीं एक पत्थर तोड़ने वाला रहता था। सारा दिन वह बहुत मेहनत से पत्थर तोड़ता था। उसके हाथ बहुत सख्त थे और कपड़े भी बहुत मैले थे।
एक दिन, वह एक बड़े पत्थर पर काम करने गया। उसका काम आसान नहीं था क्योंकि उस दिन गर्मी भी बहुत थी। कुछ घंटे पत्थर तोड़ने का काम करने के बाद वह छाया में बैठ गया। कुछ समय के बाद, उसे किसी के आने की आवाज़ सुनाई दी।
उठते हुए उसने लोगों का एक लंबा काफिला देखा। उस काफिले में कई सैनिक और सेवक थे। और काफिले के बीच, एक पालकी में एक राजा बैठा हुआ था। राजा की पालकी को कुछ ताकतवर लोगों ने उठा रखा था।
“मैं कितना खुश होता अगर मैं एक पत्थर तोड़ने वाला न होकर राजा होता,” पत्थर तोड़ने वाला, राजा को देख कर सोचने लगा। जैसे ही उसके मुंह से ये शब्द निकले, तभी एक अद्भुत बात हो गयी।
पत्थर तोड़ने वाले ने देखा कि उसने रेशम के कपड़े पहने हुए थे और वह चमकते हुए जेवर से सजा हुआ था। उसके हाथ कोमल थे और वह एक आरामदायक पालकी में बैठा हुआ था।
वह काफिला आगे बढ़ा। तब सूरज की गर्मी भी बढ़ गयी थी। पत्थर तोड़ने वाले को, जो अब राजा बन चुका था, बहुत गर्मी लगने लगी। जैसे ही दोपहर हुई, सूरज की गर्मी और बढ़ गयी, जिससे राजा और भी ज्यादा बेचैन हो गया।
“मैं शक्तिशाली हूं, लेकिन सूरज तो और भी ज्यादा शक्तिशाली है! मुझे राजा होने की बजाय सूरज होना चाहिए,” पत्थर तोड़ने वाला चोदने लगा।
इतना सोचते ही, एक ही बार में वह सूरज बन गया और धरती पर अपनी चमक बिखेरने लगा। वह बड़े जोरदार ढंग से चमकने लगा; उसने अपनी किरणों से खेतों को जला दिया। लेकिन, वह कितना भी तेज क्यों न चमकता हो, वह बादलों के पार नहीं देख सकता था।
यह तो पक्की बात है कि बादल सूरज से ज्यादा मजबूत और ताकतवर हैं,” पत्थर तोड़ने वाला बोला, ” बल्कि मुझे तो बादल होना चाहिए”। अचानक उसने देखा कि वह रूप बदल कर काला, घना बादल हो गया था।
उसने खेतों पर खूब बारिश की, जिससे बाढ़-सी आ गयी। सब पेड़ और घर पानी में बह गये। लेकिन उस चट्टान को कुछ नहीं हुआ, जिसे एक बार उसने तब तोड़ा था, जब वह एक पत्थर तोड़ने वाला था।
“वह चट्टान मुझसे ज्यादा ताकतवर क्यों है?” बादल बने हुए, पत्थर तोड़ने वाले ने कहा। “केवल एक पत्थर तोड़ने वाला ही अपनी योग्यता से एक चट्टान को तोड़ सकता है।
कितना ही अच्छा हो अगर मैं फिर से एक पत्थर तोड़ने वाला बन जाऊो” जैसे ही उसने ये शब्द कहे, उसने अपने आप को एक पत्थर पर बैठे हुए पाया।
उसके हाथ सख्त थे। उसने अपने औज़ार उठाए और खुशी-खुशी उस चट्टान पर काम करने लगा। शिक्षा: मनुष्य को हर हाल में खुश रहना चाहिए।
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9. अंधा लालच Short Stories in Hindi with Moral Values for Students
एक बार, अब्दुल्ला ने अपने ऊंट किसी व्यापारी को किराए पर दे दिए जो उनको अपना सामान ढोने के काम में लाता था। अक्सर अब्दुल्ला उनकी यात्राओं में उनके साथ चला जाता था।
एक दिन, एक यात्रा से वापस लौटते समय, वह थोड़ा आराम करने के लिए रुका। तभी, वहां एक संत आया और वे दोनों आपस में बातें करने लगे।
जल्दी ही वे दोनों दोस्त बन गए। बातों-बातों में, संत ने उसे एक भेद बताया, “यहां पास में ही एक जगह पर खजाना गड़ा है और उसके बारे में मुझे पता है।”
“तब तो हमें चलना चाहिए। मेरे अस्सी ऊंटों पर लाद कर, उन्हें यहां ले आना चाहिए। एक लदा हुआ ऊंट मैं आपको दे दूंगा,” अब्दुल्ला ने कहा।
“मेरे दोस्त, तुम कुछ कंजूसी कर रहे हो। अगर तुम मुझे चालीस लदे हुए ऊंट देने का वादा करो तो मैं उस छिपे हुए खजाने का रहस्य तुम्हें बताऊंगा,” संत ने कहा।
अब्दुल्ला इसके लिए राजी हो गया। उस स्थान पर पहुंच कर, संत ने कुछ शब्द बुदबुदाए। आगे, थोड़ी सी दूरी पर जमीन में दरार बन गयी। अब्दुल्ला को उस दरार में बड़े-बड़े घड़े दिखाई दिए जिनमें सोने की छड़ें, सोने के सिक्के, बहुत कीमती मणियां व जवाहरात थे।
इतना सारा खजाना देख कर अब्दुल्ला की आंखें चमक उठीं। “दोस्त, आओ हम इसे बोरियों में भर लें,” संत ने कहा। उन्होंने एक-एक करके सारा खजाना बोरियों में भर लिया और जल्दी से उन्हें ऊंटों पर लाद दिया।
वहां, संत को सोने का एक बर्तन मिला जिसके अंदर लकड़ी का एक छोटा-सा बक्सा था। उसने उस बक्से को यह कहते हुए अपनी जेब में रख लिया कि इस में एक खास की मरहम है।
अब्दुल्ला और उसके साथी संत ने ऊंटों का बंटवारा कर लिया। अब्दुल्ला इस बात को हजम नहीं कर पा रहा था कि चालीस ऊंटों पर लदा खजाना उस संत को मिल जाएगा।
इसलिए वह बोला, “देखिए, आप एक संत हैं। आपके लिए चालीस ऊंटों की देखभाल करना मुश्किल होगा।” अब्दुल्ला के ऐसा कहने पर, वह अपने हिस्से के चालीस ऊंट अब्दुल्ला को देने को राजी हो गया।
“इन में से कुछ खजाना ग़रीब लोगों को ज़रूर बांट देना,” संत ने उसे सलाह दी। लेकिन अब्दुल्ला ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। उसने उस संत से कहा, “मुझे यकीन है कि लकड़ी का मरहम वाला बक्सा आपके किसी काम का नहीं है।
क्यों नहीं आप इसे भी मुझे दे देते?” उसने पूछा। अब वह लालच में आकर वह बक्सा भी ले लेना चाहता था। संत ने वह बक्सा निकाला और कहा, “इसे तुम ले लो, मेरे दोस्त।”
“क्या आप मुझे इस मरहम के बारे में बताएंगे?,” अब्दुल्ला ने बक्सा अपने हाथ में लेते हुए कहा। “अगर इसमें से थोड़ी सी मरहम तुम अपनी बाईं आंख पर लगाओगे, तो तुम सभी छिपे हुए खजानों को देख सकोगे।
लेकिन अगर तुमने यह मरहम गलती से अपनी दाई आंख से छू भी दी तो तुम अंधे हो जाओगे,” संत ने उसे बताया। “मुझे पक्का यकीन है कि यह संत कुछ छिपा रहा है।
यह कैसे हो सकता है कि एक ही मरहम के दो अलग-अलग असर हों,” अब्दुल्ला ने सोचा। उसने संत की बात नहीं मानी और वह मरहम अपनी दाईं आंख पर मल ली और वह अंधा हो गया। एक ही पल में, अब्दुल्ला के लालच ने उसे एक रईस आदमी से भिखारी बना दिया था।
शिक्षा: लालच हमें अंधा बना देता है।
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