Short Kahani Lekhan in Hindi:- Here I’m sharing with you the top short Kahani Lekhan in Hindi which is really amazing and awesome these short Kahani Lekhan in Hindi will teach you lots of things and give you an awesome experience. You can share them with your friends and family and these moral Nursery stories will be very useful for your children or younger siblings.
Top 14 Short Kahani Lekhan in Hindi 2022
- घंटाधारी ऊंट
- चतुर शृगाल
- कुत्ते का शत्रु कुत्ता
- बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताए
- घमंडी सर्दी
- भोली चील और बिज्जू
- सबसे बड़ा कौन?
- चूहा और गुड़िया का घर
- पिकनिक का दिन
- ट्रैफिक लाइट की कहानी
- सात रंग
- बहादुर समीर
- बर्फ मानव और बच्चे
- टीटू खरगोश
1. घंटाधारी ऊंट Popular kanai Lekhan for Kids
किसी गांव में उज्ज्वलक नाम का एक बढ़ई रहता था। वह बहुत निर्धन था। निर्धनता से तंग आकर एक दिन वह गांव छोड़कर दूसरे स्थान के लिए निकल पड़ा। रास्ते में घना जंगल पड़ता था।
वहां उसने देखा कि एक ऊंटनी प्रसव-पीड़ा से तड़प रही है। ऊंटनी ने जब बच्चा दिया तो वह ऊंटनी और उसके बच्चे को लेकर अपने घर लौट आया। अब समस्या पैदा हो गई कि वह ऊंटनी को चारा कहां से खिलाए ?
उसने ऊंटनी को खूटे से बांधा और उसके लिए चारे का प्रबंध करने के लिए जंगल की ओर निकल पड़ा। जंगल में पहुंचकर उसने वृक्षों की पत्ती-भरी शाखाएं कार्टी, और उन्हें ले जाकर ऊंटनी के सामने रख दिया।
ऊंटनी ने हरी-भरी कोपलें खाई। कुछ दिन तक ऐसा ही आहार मिलता रहा तो ऊंटनी बिल्कुल स्वस्थ हो गई। उसका बच्चा भी धीरे-धीरे बढ़ा होने लगा। तब बढ़ई ने उसके गले में एक घंटा बांध दिया, जिससे वह कहीं खो न जाए।
दूर से ही घंटे की आवाज सुनकर बढ़ई उसे घर लिवा लाता था। ऊंटनी के दूध से बढ़ई के बाल-बच्चे भी पलते थे। ऊंट का बच्चा, जो अब जवान हो चुका था, भार ढोने के काम में आने लगा था। बढ़ई निश्चिंत रहने लगा।
उसने सोचा कि अब उसे कुछ करने की आवश्यकता नहीं। निर्वाह ठीक ढंग से चल ही रहा है, अतः अब उसे कोई व्यापार कर लेना चाहिए। इस विषय में उसने अपनी पली से सलाह की तो उसने परामर्श दिया कि ऊंटों का व्यापार करना ही उचित रहेगा।
भाग्य ने साथ दिया और कुछ ही दिनों में उसके पास ऊंट-ऊंटनियों का एक समूह हो गया। अब उसने उनकी देखभाल के लिए एक नौकर भी रख लिया । इस प्रकार उसका ऊंटों का व्यापार खूब चलने लगा। सारे ऊंट दिन-भर तो तालाब या नदी किनारे चरा करते और शाम को घर लौट आते थे।
उन सबके पीछे वहीं ऊंट होता था, जिसके गले में बढ़ई ने घंटा बांध दिया था। अब वह ऊंट स्वयं पर कुछ ज्यादा ही गर्व महसूस करने लगा था। फिर एक दिन ऐसा हुआ कि शेष ऊंट तो शाम होते ही घर पहुंच गए, किंतु वह घंटाघारी ऊंट वापस न लौटा।
वह जंगल में कहीं भटक गया। उसके घंटे की आवाज सुनकर एक सिंह उस पर झपट पड़ा और अपने तीक्ष्ण नाखूनों से उसका पेट फाड़ डाला। यह कथा सुनाकर वानर बोला-‘तभी तो मैं कहता हूं कि जो व्यक्ति अपने हितैषियों की बात नहीं मानता, उसकी ऐसी ही दशा होती है।’
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2. चतुर शृगाल Kahani Lekhan Topics in Hindi
किसी जंगल में एक गीदड़ रहा करता था। उसका नाम था, महाचतुरक । शिकार की तलाश में वह वन के विशाल भू-भाग में इधर-उधर भटका करता था। एक दिन वन के एक भाग में उसने एक मरा हुआ हाथी देखा।
हाथी का मांस खाने की इच्छा से गीदड़ ने उसकी खाल में दांत गड़ाने की चेप्ा की, किन्तु खाल कठोर होने के कारण उसके दांत हाथी की खाल में न गड़ सके। इसी बीच कहीं से घूमता-घामता एक सिंह वहां आ पहुंचा।
सिंह को देखकर गीदड़ भयभीत हो गया। उसने सिंह को प्रणाम किया और बोला-‘स्वामी ! मैं तो आपका सेवक हूं। आपके लिए ही तो मैं इस हाथी की रक्षा कर रहा हूं। अब आप इसका यथेष्ट भोजन कीजिए।’
सिंह ने कहा-‘मैं किसी और के हाथों मरे जीव का भोजन नहीं करता। भूखा रहकर भी मैं अपने इस धर्म का पालन करता हूं।’ सिंह के जाने के बाद एक बाघ वहां आ पहुंचा। गीदड़ ने सोचा कि एक मुसीबत को हाथ जोड़कर जैसे-तैसे टाल दिया, अब इस दूसरी मुसीबत को कैसे टालूं ? इसके साथ भेद-नीति का ही प्रयोग करना चाहिए।
यही सोचकर वह गीदड़ बाघ के सामने गरदन ऊंची करके जा पहुंचा और उससे बोला-‘मामा ! तुम इस मौत के मुंह में कहां से आ गए? इस हाथी को सिंह ने मारा है। वह मुझे इसकी देखभाल करने को यहां छोड़कर अभी-अभी नदी की ओर गया है, स्नान करने।
मुझे वह विशेष रूप से यह निर्देश देकर गया है कि यदि कोई बाघ या चीता इसको सूंघे भी तो मैं चुपके से जाकर उसे बता दूं।’ यह सुनकर बाघ वहां से तुरंत भाग खड़ा हुआ। बाघ को गए हुए अधिक समय नहीं हुआ था कि वहां एक चीता आ धमका।
गीदड़ ने सोचा कि चीते के दांत बहुत पैने होते हैं, अतः कोई ऐसा उपाय करूं कि यह चीता हाथी की खाल को काट दे। यह सोचकर वह चीते से कहने लगा-‘महाशय ! आज बहुत दिनों बाद दिखाई दिए। भूखे भी दिखाई दे रहे हो। देखो, सिंह द्वारा मारा हुआ यह हाथी यहां मेरी सुरक्षा में है।
अतः जब तक सिंह नहीं आता, तुम इसका थोड़ा-बहुत मांस खा लो और यहां से भाग जाओ।’ इस प्रकार चीते ने मांस खाना स्वीकार कर लिया। जब वह अपने तेज नाखूनों और दांतों से हाथी की खाल को चीरकर अपना मुंह मांस में गड़ाने लगा तो गीदड़ बोल उठा—’अरे, वह सिंह आ पहुंचा।
जल्दी से यहां से निकल जाओ।” यह सुनकर चीता दुम दबाकर वहां से भाग खड़ा हुआ। चीते द्वारा बनाए छेद से वह गाड़ी से हाथी के पेट में घुस गया। अभी उसने हाथी के कोमल अंगों का मांस खाना आरंभ ही किया था कि एक अन्य गीदड़ वहां आ पहुंचा। उसको अपने जैसा ही बलवान समझकर गीदड़ ने उससे युद्ध किया और अवसर देखकर उसको मार डाला। तत्पश्चात बहुत दिनों तक वह सुखपूर्वक हाथी के मांस का आनंद लेता रहा।
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3. कुत्ते का शत्रु कुत्ता Kahani Lekhan in Hindi with Points
किसी नगर में चित्रांग नाम का एक कुत्ता रहता था। दैवयोग से उस क्षेत्र में एक बार भयंकर अकाल पड़ गया। अन्न के अभाव में सभी जीव भूख से मरने लगे। धीरे-धीरे उनका वंश भी क्षय होने लगा चित्रांग ने जब यह देखा तो वह विदेश की ओर चल पड़ा।
वहां एक नगर में उसे एक ऐसा घर मिल गया, जिसकी गृहिणी एक फूहड़ स्त्री थी। बस फिर क्या था, चित्रांग को मौका मिल गया। वह प्रतिदिन मौका देखकर उसके घर में घुस जाता और अपना भोजन प्राप्त कर लिया करता।
किन्तु जब वह भोजन करके उसके घर से बाहर निकलता तो उस नगर के अन्य कुत्ते उसे घेरकर प्रायः उसे भंभोड़ डालते थे। इस कष्ट को देखकर वह सोचने लगा कि इससे तो अपना नगर ही अच्छा है।
वहां अकाल तो है किन्तु कोई इस तरह अपने जाति-भाई को काटने तो नहीं दौड़ता। यही सोचकर वह अपने नगर वापस लौट आया। चित्रांग के वापस लौटने पर उसके संगे-संबंधी उसके स्थान पर इकट्ठे होकर दूसरे नगर का हालचाल पूछने लगे।
चित्रांग बोला-‘भैया ! उस नगर की बात मत पूछो। वहां किसी प्रकार का अकाल नहीं है, लोग संतुष्ट और प्रसन्न हैं, जी भरकर भोजन करते हैं, लेकिन एक बात की बहुत कमी है वहां। और वह यह कि वहां अपनी ही जाति के लोग एक-दूसरे के बहुत विरोधी हैं, वे प्रायः परस्पर लड़ते रहते हैं।’
वानर से इस प्रकार उपदेश की बातें सुनकर मगर ने निश्चय कर लिया कि वह अपने घर पर अधिकार करने वाले मगर से युद्ध करेगा। ऐसा निश्चय करके वह अपने घर पर पहुंचा। अपने घर पर कब्जा करने वाले उस मगर से उसने युद्ध कर उसे मार डाला। तत्पश्चात वह सुखपूर्वक अपने घर में निवास करने लगा।
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4. बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताए
किसी नगर में देवशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहा करता था उसके पर के एक कोने में बिल बनाकर एक नेवली भी रहती थी। जिस दिन देवशर्मा की पली ने अपने पुत्र को जन्म दिया, उसी दिन मेवली को भी एक बच्चा पैदा हुआ।
किन्तु बच्चे को जन्म देने के बाद नेवली आपिक देर तक जीवित न रह सकी। उसका देहांत हो गया। पाहाणी को उस नवजात शिशु पर बहुत दया आई। उसने अपने पुत्र की तरह उस दिवाली के पुत्र का भी लालन- पालन आरम् कर दिया।
धीरे-धीरे नेवला बड़ा हो गया। अब वह प्रायः ब्राह्मणी के पुत्र के साथ ही रहने लगा था। दोनों में खूब मित्रता हो गई थी। लेकिन अपने पुत्र और नेवले में इतना प्यार होने पर भी ब्राह्मणी हमेशा उसके प्रति शंकित ही रहती थी।
एक दिन की बात है कि ब्राह्मणी अपने पुत्र को सुलाकर हाथ में घड़ा लेकर अपने पति से बोली-‘मैं सरोवर पर जल लेने जा रही हूं, जब तक मैं न लौटूं तब तक आप यहीं रुकना और बच्चे की देखभाल करते रहना।’
ब्राह्मणी जब चली गई तो उसी समय किसी यजमान ने आकर ब्राह्मण को खाने का निमंत्रण दिया। उस नेवले पर ही अपने पुत्र की रक्षा का भार सौंपकर ब्राह्मण अपने यजमान के साथ चला गया। संयोग की बात है कि उसी समय न जाने कहां से एक काला नाग वहां आ पहुंचा और वह बच्चे के पलंग की ओर बढ़ने लगा। नेवले ने उसे देख लिया।
उसे डर था कि यह नाग उसके मित्र को न डस ले, इसलिए वह उस काले नाग पर टूट पड़ा। नाग बहुत फुर्तीला था, उसने कई जगह नेवले के शरीर को काटकर उसमें जख्म बना दिए किन्तु अंत में नेवले ने उसे मारकर उसके शरीर को खंड-खंड कर दिया। नाग को मारने के बाद नेवला उसी दिशा में चल पड़ा, जिधर ब्राह्मणी जल भरने के लिए गई हुई थी।
उसने सोचा वह उसकी वीरता की प्रशंसा करेगी किन्तु हुआ उसके विपरीत। उसकी खून से सनी देह को देखकर ब्राह्मणी का मन आशंकाओं से भर उठा कि कहीं उसने मेरे पुत्र को तो नहीं काट लिया। यह विचार आते ही उसने क्रोध से सिर पर उठाए घड़े को नेवले पर पटक दिया। छोटा-सा नेवला जल से भरे घड़े की चोट बरदाश्त न कर सका और उसका वहीं प्राणांत हो गया।
ब्रह्माणी भागती हुई अपने घर पहुंची। वहां पहुंचकर उसने देखा कि उसका पुत्र तो बड़ी शांति का शरीर खंड-खंड हुआ पड़ा है। पश्चात्ताप से उसकी छाती फटने लगी। इसी बीच ब्राह्मण भी लौट आया। वहां आकर उसने अपनी पली को विलाप करते देखा तो उसका मन भी सशंकित हो गया लेकिन जब उसने पुत्र को शांति से सोए हुए दखा तो उसका मन शांत हो गया।
उसकी पली ने रोते हुए नेवले की मृत्यु का समाचार उस सुनाया हाकर अपने यजमान के यहां भोजन करने के लिए चले गए। तुम्हारे भिक्षा के लोभ ने के साथ सो रहा है और उससे कुछ दूरी पर एक काले नाग और बोली-‘मैंने तुम्हें यहीं ठहरने को कहा था किन्तु तुम लोभ के वशीभूत ” यह सब करा दिया। मनुष्य को अतिलोभ कभी नहीं करना चाहिए। अतिलोम के कारण कई बार मनुष्य के मस्तिष्क पर चक्र लग जाता है।’
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5. घमंडी सर्दी latest short Kahani Lekhan in Hindi
एक दिन घमंडी सर्दी ने बसंत का मज़ाक उड़ाते हुए कहा-“जब तुम आते हो तो लोगों को ऐसा लगता है जैसे कोई त्यौहार आ गया हो। वे पागलों की तरह अच्छे कपड़े पहनते हैं, और खुशी मनाते हैं।”
इस पर पतझड़ ने बीच में टोका “लेकिन वसंत में भी उतनी ही तेज़ बारिश होती है और हवा चलती है, जितनी सर्दी में।” “लेकिन अगर मैं . चाहूँ तो कई दिनों तक लोगों को उनके घरों में कैद कर सकती हूँ।
मैं उन्हें कभी भी कॉपने पर मजबूर कर सकती हूँ। मैं रानी हूँ, और सबको मेरा आदेश मानना होगा।”-सर्दी ने घमंड में कहा। बसंत चुपचाप सब सुन रहा था। वह बोला-“तुम्हें लोगों को परेशान करने का घमंड है।
तुम उनको दुख देती हो जबकि मैं उनके चेहरों पर खुशी लाता हूँ। वे तुम्हारे बिना रह सकते हैं, परंतु मेरा वे हमेशा इंतज़ार करते हैं, और मुझसे प्यार करते हैं।” सर्दी के पास अब कोई शब्द नहीं थे और उसे अपनी भूल का एहसास हो गया था।
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6. भोली चील और बिज्जू new short Kahani lekhan in Hindi
जंगल में एक बड़ा बलूत का पेड़ था। उस पर बने घोंसले में एक चील रहती थी और उस की जड़ों में बने बिल में एक बिज्जू रहता था। वे पड़ोसी तो थे, परंतु मित्र नहीं थे।
एक दिन एक दुष्ट बिल्ली चील के पास गई और बोली- “बिज्जू अपने बिल को गहरा बनाने के लिए पेड़ की जड़ों को काट रहा है। पेड़ के गिरते ही वह तुम्हारे बच्चों को खा जाएगा।”
इसके बाद बिल्ली बिज्जू के पास गई और बोली-“तुम अपने घर से बाहर मत निकलना। तुम्हारे परिवार के बाहर निकलते ही वह चील उन्हें खा लेगी।” अब एक-दूसरे के डर से चील और बिज्जू, दोनों में से कोई भी अपने परिवार के लिए खाना लेने को भी नहीं गया।
एक दिन चील ने बिज्जू को बिल्ली की सारी बात बता दी। बिज्जू ने भी अपनी सारी कहानी सुनाई। सच्चाई जानकर दोनों को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने दुष्ट बिल्ली को मार डाला और वह अच्छे दोस्त बनकर रहने लगे।
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7. सबसे बड़ा कौन? Amazing short Kahani lekhan in Hindi
एक समय की बात है, जंगल के जानवर सालाना भोज के लिए एकत्र हुए। उनके रिवाज़ के अनुसार वे सबसे बड़ी उम्र के जानवर को सम्मानित करते थे। हिरण ने कहा-“मुझसे बड़ा कोई नहीं है।
मैं वह हूँ जिसने सूरज और चाँद बनाए हैं।” लेकिन, लोमड़ी ने उसे टोकते हुए कहा-“दोस्तो, हिरण ने सूरज और चाँद बनाए होंगे। परंतु मैं वो हूँ, जिसने आकाश तक पहुंचने वाली सीढ़ी बनायी है।”
तब एक बूढ़ा मेंढक खड़ा हुआ और बोला-“तुम उस सीढ़ी की बात कर रहे हो, जो सूरज और चाँद बनाने में काम आई थी?” लोमड़ी ने मुस्कराते हुए कहा-“हाँ, वही सीढ़ी, क्या तुम उसके बारे में जानते हो?”
“मेरा परपोता, जो अब नहीं रहा, बता रहा था कि उसने एक पेड़ उगाया था। वही पेड़ सीढ़ी बनाने में काम आया था।”-मेंढक ने जवाब दिया। अब सब जानवरों की बोलती बंद हो गई और मेंढक को ही सबसे बड़ी उम्र के होने का सम्मान मिला।
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8. चूहा और गुड़िया का घर unique short Kahani lekhan in Hindi
मीठू और उसकी पत्नी मीठी, दो चूहे थे। वे एक बहुत बड़े घर के एक कोने में बने बिल में रहते थे। एक रात, मीठू रसोई की ओर खाना लाने को गया। वहाँ उसने एक सुंदर-सा गुड़िया का घर देखा।
उसने अपनी पत्नी को आवाज़ दी। तब दोनों उस घर के अंदर गए। वहाँ छोटी कुर्सियां, छोटी मेजें, छोटा पलंग और खाने की चीजों से भरी हुई एक छोटी मेज थी। उन्हें उस छोटे घर में मज़ा आ रहा था।
मीठी ने खुश होकर कहा-“यहाँ हमारे ही नाप का सामान रखा हुआ है।” “चलो, पहले कुछ खा लेते हैं।” उन्होंने खाना शुरु किया परंतु उनसे कुछ भी खाया न गया। वह सारा खाना नकली था।
दोनों बहुत उदास हुए। तभी, मीठू छोटी कुर्सी को उठाकर बोला-“कम से कम हम इन्हें तो ले जा सकते हैं। ये बिल्कुल हमारे नाप के हैं।” तभी अचानक किसी की आवाजें सुनकर वे दोनों भाग कर वापस अपने बिल में चले गए।
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9. पिकनिक का दिन short Kahani lekhan in Hindi
रोहन एक बहुत अच्छा लड़का था। वह समुद्र के किनारे रहता था। एक दिन रोहन और उसके दोस्तों ने समुद्र के किनारे पिकनिक मनाने का फैसला किया।
रविवार की सुबह वे सभी अपनी-अपनी साइकिलों पर पिकनिक के लिए निकल गए। वह जगह लोगों से भरी हुई थी। रोहन और उसके दोस्तों ने वहाँ आईसक्रीम, पॉपकॉर्न, मिठाईयाँ आदि कई चीजें खाएं।
रोहन और शालू को पॉपकॉर्न सबसे अच्छे लगे। जो कि चम्पा को आइसक्रीम अच्छी लगी। तभी, बच्चों ने एक जोकर को कई गेंदों से एक साथ खेलते हुए देखा। सभी बच्चे जोकर के करतब देखने लगे।
उन्हें जोकर का खेल बहुत पसंद आया। इसके बाद रोहन और उसके दोस्त समुद्र के शांत किनारे पर बैठकर रेत के महल बनाने लगे। वे सबसे बड़ा रेत का महल बनाने के लिए एक दूसरे से होड़ लगाने लगे। उसके बाद वे सब अपने-अपने घर चले गए।
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10. ट्रैफिक लाइट की कहानी awesome short Kahani lekhan in Hindi
एक बार, एक सीफी नामक ट्रैफिक लाइट थी। सीफी अपनी हरी, लाल और पीली पलकें झपकाती हुई उदास खड़ी थी। उसने आह भरते हुए कहा-‘मुझे कोई नहीं चाहता, न ही मुझे कोई पसंद करता है।”
लेकिन वह लोगों को अपनी तरफ देखते हुए देखकर वह खुश होती थी, जब लोग उसकी लाईट के हरे होने का इंतज़ार करते थे। वह खुश होती थी, जब बच्चे उसकी ओर ध्यान देते थे।
वे कारों की खिड़कियों से झांककर उसकी ओर तब तक देखते थे, जब तक कि वह हरी नहीं हो जाती थी। एक दिन की बात है, ट्रैफिक लाइट खराब हो गई। वह रंग नहीं बदल पा रही थी। सभी गाड़ियाँ फँस गई थीं,
और हिल नहीं पा रही थीं। तभी दो आदमी उसे ठीक करने के लिए आए। उनमें से एक ने कहा- “इस ट्रेफिक जाम को तो देखो। हमें इसे जल्दी से ठीक करना पड़ेगा।” यह सुनकर ट्रेफिक लाईट को अपना महत्व पता चला।
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11. सात रंग short Kahani lekhan in Hindi for kids
देवताओं के राजा इंद्र के दरबार में सात बच्चे थे। एक दिन सातों बच्चों में बहस छिड़ गई कि कौन सबसे महान है। लाल ने दूसरों को समझाते हुए कहा-“इसमें कोई शक नहीं कि मैं सबसे महान हूँ।
तरबूज, अनार और सेब सब लाल रंग के होते हैं।” इस पर संतरी ने कहा-“गाजर और दालें संतरी होती हैं, इसलिए मैं महान हूँ।” हरे ने टोकते हुए कहा-“सारे कच्चे फल हरे होते हैं, इसलिए मैं महान हूँ।
तभी नीला बोला-” आकाश के रंग को देखो तो तुम्हें समझ आएगा कि कौन महान है। गहरे नीले ने सवाल उठाया “क्या तुमने मोर को देखा है?” इस पर बैंगनी ने कहा “तुमने पके हुए अंगूरों को तो देखा होगा।
उससे यह साफ होता है कि मैं महान हूँ।” जब इंद्र को उनकी बहस का पता चला तो उसने कहा-“तुम अच्छे बच्चे हो। तुम्हें लड़ना नहीं चाहिए। मिल कर रहो और खेलो।” सभी बच्चे मिलकर खेलने लगे। उनके मिलने से आकाश में सात रंगों का इंद्रधनुष बन गया।”
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12. बहादुर समीर Children short Kahani lekhan in Hindi
समीर एक बहुत बहादुर लड़का था। उसे सांपों के बारे में पढ़ना अच्छा लगता था। वह सांपों के बारे में बहुत कुछ जानता था। इसी आदत के कारण दूसरे बच्चे उसे सांप-मानव कहते थे।
एक दिन टीचर अलग-अलग जीवों के बारे में बता रही थी। उन्होंने बच्चों को तितली के बारे में दस पंक्तियाँ लिखने को कहा। लेकिन समीर तितलियों के बारे में कुछ नहीं जानता था।
वह केवल सांपों के बारे में ही जानता था। इसलिए उसने कुछ नहीं लिखा। टीचर उसे सजा देने ही वाली थीं कि एक आदमी दौड़ता हुआ वहाँ आया। उसने कहा-“मैडम, बगीचे में एक सांप आ गया है।”
यह सुनते ही टीचर घबरा गई। किसी ने आग बुझाने वाले को बुलाया, परंतु वह भी इतने बड़े सांप को देखकर भाग गया। उसी समय समीर दौड़ता हुआ बगीचे में गया।
उसने सांप को पकड़ा और स्कूल से दूर फेंक दिया। वह उनसे नहीं डरता था, क्योंकि वह उनको पसंद करता था। सबने उसकी प्रशंसा की। टीचर न भी समीर को अब माफ कर दिया था।
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13. बर्फ मानव और बच्चे for students short Kahani lekhan in
Hindi
एक बार, बहुत ठंडा मौसम था। सुबह से बर्फ पड़ रही थी। दो दोस्त बर्फबारी का मज़ा लेने के लिए बाहर निकले। उन्होंने देखा बगीचा बर्फ से ढककर सफेद हो गया था। वह बहुत सुंदर लग रहा था।
दोनों दोस्तों ने एक बर्फ मानव बनाने का फैसला किया। उन्होंने दो बर्फ के गोले बनाए और उनको एक-दूसरे के ऊपर रखा। उन्होंने दो लकड़ियों से उसके हाथ बनाए। क्रिसमस की शाम आ चुकी थी।
दोनों ने अपने बर्फ मानव को खूब सजाया। तभी बर्फ मानव ने उनकी ओर हाथ हिलाया तो वे हैरान रह गए। वे खुशी से चिल्लाए-“अरे! बर्फ मानव तो ज़िन्दा है।” बर्फ मानव ने कहा- मैं तुम्हें कुछ देना चाहता हूँ।”
यह कह कर उसने अपना हाथ हिलाया और आकाश से चाँदी सी बर्फ गिरने लगी। यह देखकर बच्चे बहुत खुश हुए। धीरे-धीरे सूरज निकल आया। बर्फ मानव पिघलने लगा। .
उसने बच्चों से विदा लेते हुए कहा-“अगले क्रिसमस पर फिर से मुझे बनाना।” बच्चे यह सब सुनकर बहुत खुश हुए और अगले क्रिसमस के आने का इंतज़ार करने लगे।
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14. टीटू खरगोश Animals short Kahani lekhan in Hindi
एक बार एक जंगल में टीटू नाम का एक खरगोश रहता था। वह बहत शरारती था। एक दिन वह अपने भाईयों के साथ खेल रहा था। खेलते हए वह अपने भाईयों से दूर चला गया।
उसके भाई उसे नहीं ढूंढ पाए। टीट अपने घर से बहुत दूर आ गया था। उसने अपने घर की ओर चलना शुरू किया। रास्ते में उसे एक खरगोश का बिल दिखा।
टीटू ने उसके अंदर झांक कर देखा तो उसके अंदर उसे तीन खरगोश दिखे। टीटू ने उन्हें अपने साथ खेलने के लिए बुलाया। वे सब मिलकर खेलने लगे। टीटू को वे अपने भाईयों के जैसे लगे।
दूसरी तरफ, उसका परिवार उसकी चिंता कर रहा था। वह उसे इधर-उधर ढूंढ रहे थे। उन्होंने सोचा किसी लोमड़ी ने उसे खा लिया होगा। उसी समय, टीटू को आभास हुआ कि उसे बहुत देर हो चुकी थी। वह अपने घर की ओर भागा। जब उसके परिवार वालों ने उसे देखा तो वे बहुत खुश हुए।
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