Short Moral Story In Hindi For Class 10:- Here I’m sharing the top Short Moral Story In Hindi For Class 10 For Kids which is very valuable and teaches your kids life lessons, which help your children to understand the people & world that’s why I’m sharing with you.
यहां मैं बच्चों के लिए हिंदी में नैतिक के लिए शीर्ष कहानी साझा कर रहा हूं जो बहुत मूल्यवान हैं और अपने बच्चों को जीवन के सबक सिखाते हैं, जो आपके बच्चों को लोगों और दुनिया को समझने में मदद करते हैं इसलिए मैं आपके साथ हिंदी में नैतिक के लिए कहानी साझा कर रहा हूं।
Types of Contents
Top 20 Short Moral Story In Hindi For Class 10
- अनूठी हिंदी-निष्ठा
- दिव्य प्रकाश
- धर्मयुद्ध का आह्वान
- अहंकार-त्याग ही मोक्ष है
- मुझे महंत नहीं बनना
- माँ की निर्भीकता
- सेवा ही सच्चा धर्म है
- संत की विनम्रता
- अहंकार त्यागो
- अनूठा वशीकरण मंत्र
- चतुर अर्जुन
- भेड़िए की योजना
- बेवकूफ भेड़िया
- मेहनत की कमाई
- दिवास्वप्न
- सबक
- चालाक चिड़िया
- जिंदगी का आनंद
- जादुई बर्तन
- चौकीदार कुत्ता
1. Moral Stories in Hindi for Class 10 – अनूठी हिंदी-निष्ठा
पंडित मदनमोहन मालवीय स्वदेशी, स्वभाषा और अपने देश की वेश-भूषा के प्रति अनन्य निष्ठा रखते थे। विदेशी भाषा अंग्रेजी की जगह हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित किए जाने के लिए उन्होंने जीवन के अंतिम क्षणों तक प्रयास किया।
वे हिंदी और संस्कृत के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा के भी अच्छे जानकार थे। इसके बावजूद वे हमेशा हिंदी का ही उपयोग किया करते थे । एक बार महामना को एक विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया ।
उन्होंने पहले ही बता दिया था कि वे अंग्रेजी की पद्धति से गाउन पहनकर अंग्रेजी में भाषण नहीं देंगे, बल्कि अपनी प्राचीन वेशभूषा में ही आएँगे, जबकि उन दिनों दीक्षांत भाषण अंग्रेजी में देने की परिपाटी थी ।
मालवीयजी ने जैसे ही हिंदी में बोलना शुरू किया कि एक विद्यार्थी खड़ा होकर बोला, ‘श्रीमान्, मैं आपकी भाषा नहीं समझ पा रहा हूँ। यूनिवर्सिटी में तो अंग्रेजी में ही भाषण दिया जाना चाहिए।’
मालवीयजी उसकी बात सुनकर मुसकराए और अंग्रेजी में कहा, ‘मैं अंग्रेजी में भी अपनी बात रख सकता हूँ, किंतु मैंने अपने देश की जनभाषा हिंदी के प्रचार का संकल्प लिया है, उसका पालन करना मेरा धर्म है।
यहाँ मौजूद छात्रों में से अधिकांश हिंदी समझते हैं। अतः मैं हिंदी में ही बोलूँगा।’ उनकी बात सुनते ही प्रायः सभी छात्रों ने कहा, ‘महाराज, हिंदी में ही बोलिए, हम सब उसे ज्यादा सरलता से समझते हैं।’
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2. Moral Stories in Hindi for Class 10 – दिव्य प्रकाश
गुरु नानकदेवजी महाराज के पास एक जिज्ञासु पहुँचा। उसने विनम्रतापूर्वक कहा, ‘बाबा, भगवान् से साक्षात्कार के लिए कोई भक्ति करने को कहता है, तो कोई ज्ञान को साधन बताता है।
आपकी दृष्टि में असली साधन क्या है?’ गुरुजी ने कहा, ‘अहंकार, पाखंड और आडंबर से दूर रहकर किसी भी साधन से ईश्वर की आराधना करके उसे पाया जा सकता है।
निश्छल मन और पवित्र हृदय से की गई भक्ति स्वतः सफल होती है। ईश्वर के प्रति दृढ़ आस्था रखते हुए, सत्य पर अचल रहने और उनके नाम का स्मरण करके उसे सहज ही पाया जा सकता है।’ उन्होंने फिर कहा, ‘साहिब मेरा एको है, एको है भाई । ‘ यानी मेरा ईश्वर एक है। उन्होंने पग-पग पर एक ओंकार की उपासना पर बल दिया।
गुरुजी अपने उपदेश में अकसर कहा करते थे कि अहंकार चाहे जाति का हो या धन का, पद का हो या ज्ञान का – वह मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। अहंकारी व्यक्ति का एक न एक दिन पतन अवश्य होता है। इसलिए आदमी को अपनी विनम्रता का परिचय देना चाहिए । उनका कहना था, ‘ईश्वर ही सत्य है । वह भयरहित और जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त है।’
गुरु नानकदेव ने देश के अनेक राज्यों में जाकर सदाचार और नाम भक्ति का प्रचार किया। तीर्थों में जाकर वे श्रद्धालुओं को अंधविश्वास और गलत मान्यताओं को त्यागने की प्रेरणा देते थे। आज पूरा संसार उनके उपदेशों से प्रेरणा ले रहा है ।
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3. Moral Stories in Hindi for Class 10 – धर्मयुद्ध का आह्वान
7 मार्च, 1930 की बात है। नमक सत्याग्रह के माध्यम से राष्ट्रीय जागरण का आह्वान किया जा रहा था। सरदार वल्लभभाई पटेल गुजरात के एक नगर में पहुँचे। उन्होंने अपने कुछ परिचितों से संपर्क किया ।
उन लोगों ने उनसे कहा, ‘हम लोग धर्म-कर्म और अहिंसा में विश्वास रखते हैं। यदि इस आंदोलन में मार-धाड़ और हिंसा शुरू हो गई, तो व्यर्थ में हमारा व्यापार ठप्प पड़ जाएगा।’
सरदार पटेल ने उनसे कहा, ‘मैं कुछ समय बाद होने वाली सभा में आपकी शंका का समाधान करूँगा।’ सभा में पटेल ने कहा, ‘गुजरात में भगवान् श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है।
उन्होंने हमेशा अन्याय और शोषण को अधर्म मानकर उसके विरुद्ध सतत संघर्ष करने की प्रेरणा दी थी। उन्होंने कहा था कि अन्याय व अत्याचार सहना भी घोर अधर्म है ।
अंग्रेज हमारे साथ अन्याय कर रहे हैं। हमारी मातृभूमि को गुलाम बनाए हुए हैं। ऐसी स्थिति में भगवान् श्रीकृष्ण के प्रत्येक भक्त का दायित्व है कि वह विदेशी सत्ता को उखाड़ फेंकने में सक्रिय हो ।’
उन्होंने आगे कहा, ‘मातृभूमि के लिए संघर्ष ही असली धर्मयुद्ध होगा। अंग्रेजों की आसुरी शक्ति से संघर्ष करना हमारी पूजा-उपासना का अंग है। दूसरे राज्यों की तरह गुजराती भी इस धर्मयुद्ध में आगे रहेंगे। ‘
सरदार के ओजस्वी भाषण ने जादू का काम किया। सैकड़ों गुजराती नमक कानून तोड़ने घरों से निकल पड़े। अंग्रेजों ने वल्लभभाई पटेल को गिरफ्तार कर तीन माह के लिए जेल भेज दिया।
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4. Moral Stories in Hindi for Class 10 – अहंकार-त्याग ही मोक्ष है
महान् भागवताचार्य स्वामी अखंडानंद सरस्वतीजी महाराज कर्णवास (उत्तर प्रदेश) में गंगातट पर आश्रम में ठहरे हुए थे। सिद्ध संत उड़ियाबाबा भी वहीं साधना कर रहे थे।
एक जिज्ञासु उनके पास पहुँचा। उसने विनम्रता से प्रश्न किया, ‘महाराज, मोक्ष का साधन बताने की कृपा करें । ‘ स्वामीजी ने कहा, ‘इसके लिए पहले यह जानना जरूरी है कि किस बंधन से हम मोक्ष चाहते हैं। हर व्यक्ति अलग अलग तरह के बंधनों में जकड़ा हुआ है।’
स्वामीजी ने समझाते हुए कहा, ‘आदमी पग-पग पर राग, मोह, लिप्सा, नासमझी, अहंकार आदि न जाने कितने बंधनों में जकड़ा रहता है। उसे यह महसूस नहीं होता कि ये बंधन मुक्त करने के बजाय उसे और सख्ती से जकड़ रहे हैं।
हम सांसारिक सुख-सुविधाओं की आकांक्षा में ज्यादा-से ज्यादा धन अर्जित करने का प्रयास करते हैं। यह अपने को बंधन में जकड़ने का प्रयास ही तो है। अज्ञान और सुख सुविधा भी तो बंधन ही हैं।
अपने को औरों से बड़ा समझने और दूसरों को नीचा समझने का भ्रम – ये सब बंधन ही तो हैं। सबसे बड़ा बंधन तो अहंकार होता है । जिसने इसका त्याग कर दिया, समझो कि वह मुक्ति का रास्ता पा चुका है।’
स्वामीजी ने कुछ देर रुककर कहा, ‘शरीर की जगह मानव जिस दिन आत्मा का महत्त्व जान जाएगा, वह ब्रह्मज्ञानी हो जाएगा। ब्रह्मज्ञान प्राप्त होते ही उसके समस्त बंधन स्वतः कट जाएँगे। ‘
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5. Moral Stories in Hindi for Class 10 – मुझे महंत नहीं बनना
स्वामी दयानंद सरस्वती ने युवावस्था में बद्रीनाथ केदारनाथ के पर्वतीय क्षेत्रों का भ्रमण किया था। इस यात्रा में एक दिन वे टिहरी पहुँचे। उनके तेजस्वी व्यक्तित्व से प्रभावित होकर वहाँ के एक प्रतिष्ठित विद्वान् ने उन्हें अपने घर भोजन के लिए निमंत्रित किया।
वे उसके घर पहुँचे, तो देखा कि एक व्यक्ति बकरे का मांस काट रहा है । वे वापस लौटने लगे, तो गृहस्वामी ने रुकने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘मैं मांसाहारी के घर भोजन नहीं कर सकता।’ यह कहकर वे वापस लौट आए ।
गुप्तकाशी में वे ओखी मठ में ठहरे। मठ का महंत उनसे बातचीत कर समझ गया कि यह तेजस्वी युवक विद्वान् है। उसने एक दिन स्वामीजी से कहा, ‘तुम हमारे शिष्य बन जाओ। हमारे इस मठ के पास अपार भूमि और धन-संपदा है।
आगे चलकर तुम इसके स्वामी बन जाओगे।’ स्वामीजी ने कहा, ‘यदि मुझे किसी मठ या संपत्ति का मालिक बनने की लालसा होती, तो मैं अपने माता-पिता, बंधु-बांधव और घर आदि क्यों छोड़ता ?’
महंत ने पूछा, ‘तो फिर क्या पाने के लिए घर छोड़ा है ? ‘ उन्होंने उत्तर दिया, ‘सत्य, विद्या, योग, मुक्ति, आत्मा आदि का रहस्य जानने के लिए मैंने घर छोड़ा है। मैं हिमालय में सच्चे योगियों-साधुओं की तलाश में आया हूँ।’
इसके अगले दिन स्वामीजी सवेरे चुपचाप उठे और जोशीमठ जा पहुँचे। उन्होंने अपनी उस यात्रा में अनेक पाखंडी तांत्रिकों और निरीह पशु-पक्षियों की बलि देने वालों का डटकर विरोध किया।
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6. Moral Stories in Hindi for Class 10 – माँ की निर्भीकता
माँ शारदा उन दिनों जयरामबटी स्थित अपने पीहर में रह रही थीं। उनकी इच्छा हुई कि गाँव से कोलकाता जाकर गंगा स्नान तथा पति स्वामी रामकृष्ण परमहंस के दर्शन किए जाएँ।
कुछ ग्रामीण गंगास्नान के लिए जा रहे थे, अतः माँ शारदा भी कुछ महिलाओं के साथ पैदल रवाना हो गईं। रास्ते में तेलो-मेलो नामक स्थान पड़ता था, जहाँ बागदी डाकू राह चलते यात्रियों को लूट लेते थे।
माँ शारदा विश्राम के लिए एक वृक्ष के नीचे बैठी ही थीं कि अचानक तीन-चार डाकुओं ने उन्हें घेर लिया। एक ने कड़कती आवाज में पूछा, ‘कहाँ की रहने वाली हो? तुम्हारे पास जो सामान हो, सामने रख दो । ‘
माँ शारदा देवी काली की परम भक्त थीं। भला वे क्यों भयभीत होतीं। उन्होंने हँसते हुए कहा, ‘पिताजी, मैं जयरामबाटी के रामचंद्रजी की बेटी हूँ। आपके जंवाई दक्षिणेश्वर के काली मंदिर के पुजारी हैं। उनके पास जा रही हूँ।’
सरदार को ‘पिताजी’ शब्द ने झकझोर डाला। वह उन्हें अपने घर ले गया और पत्नी से बोला, ‘हमारी कोई संतान नहीं है। भगवान् ने हमें यह सुंदर पुत्री दी है । ‘
कुछ देर आराम करने के बाद माँ शारदा ने कहा, ‘बाबा, यदि मैं कोलकाता नहीं पहुँची, तो आपके जंवाई चिंता में पड़ जाएँगे। मुझे जल्दी से जल्दी वहाँ पहुँचवा दीजिए । ‘
बागदी ने कहारों से पालकी मँगवाई । हरे मटर, चिवड़ा व बताशे विदाई में दिए और स्वयं पालकी के साथ मंदिर तक पहुँचाने गया। इस घटना से बागदी का हृदय परिवर्तन हो गया, उसने डाका डालना छोड़ खेती करना शुरू कर दिया।
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7. Moral Stories in Hindi for Class 10 – सेवा ही सच्चा धर्म है
पूर्वी बंगाल में जनमे स्वामी प्रणवानंदजी ने 1913 में गोरखपुर पहुँचकर 17 वर्ष की आयु में गोरखनाथ संप्रदाय के आचार्य योगी गंभीरनाथजी से दीक्षा ली । गुरु ने उन्हें उपदेश देते हुए कहा, ‘अपना जीवन धर्म-साधना के साथ साथ पीडितों एवं अभावग्रस्तों की सेवा में लगाना।’
स्वामीजी एक बार अपने स्वर्गीय पिता का पिंडदान करने तीर्थ गए। पंडों के वेश में कुछ अपराधी किस्म के लोगों को उन्होंने श्रद्धालुओं का उत्पीड़न करते देखा। उन्होंने उसी समय संकल्प लिया कि वे तीर्थस्थलों की पवित्रता बनाए रखने के लिए अभियान चलाएंगे।
आगे चलकर ‘भारत सेवा आश्रम संघ’ का गठन करके उन्होंने तीर्थस्थलों की पवित्रता बनाए रखने का अभियान चलाया और पाखंडियों का बहिष्कार कराया।
वर्ष 1921 में तत्कालीन बंगाल के खुलना में भयंकर दुर्भिक्ष पड़ा। स्वामी प्रणवानंद अन्य तमाम कार्य बीच में छोड़ अपने शिष्यों के साथ पीड़ितों की सेवा में जुट गए ।
उन्होंने सार्वजनिक आह्वान किया, ‘आज पीड़ितों की सेवा से बढ़कर दूसरा कोई धर्म नहीं है। इसी तरह, उड़ीसा और पूर्वी बंगाल में बाढ़ आने का समाचार मिलते ही वे वहाँ पहुँचे और पीड़ितों की सेवा की ।
आगे चलकर उन्हें ‘युगाचार्य’ के रूप में मान्यता मिली। उन्होंने सेवा संघ के सम्मेलन में घोषणा की, ‘शिक्षा का प्रचार-प्रसार करो, किंतु संस्कारों पर विशेष ध्यान दो पूजा उपासना तभी सफल होगी, जब मानव का आचरण शुद्ध होगा। जिसकी कथनी-करनी एक नहीं है, वह किसी को क्या प्रेरणा देगा?’
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8. Moral Stories in Hindi for Class 10 – संत की विनम्रता
ब्रह्मनिष्ठ संत स्वामी दयानंद गिरि शास्त्रों के प्रकांड ज्ञाता थे। वे अकसर कहा करते थे कि धर्मशास्त्रों का सार यही है कि मनुष्य हर प्रकार के अभिमान से दूर रहकर सदैव विनम्रता का व्यवहार करे।
एक बार स्वामीजी नाथद्वारा ( राजस्थान) पहुँचे। श्रीनाथजी के दर्शन के बाद वे भिक्षा (भोजन) प्राप्त करने मंदिर के भंडारे में पहुँचे। वहाँ भोजनालय का प्रबंधक किसी से कह रहा था, ‘आज बरतन साफ करनेवाला कर्मचारी नहीं आ पाया है। ऐसी स्थिति में क्या होगा?’
स्वामीजी ने जैसे ही यह सुना, वे जूठे बरतन साफ करने में जुट गए। भंडारे का व्यवस्थापक और अन्य संतगण उनकी सेवा भावना से बहुत प्रभावित हुए।
उसी शाम मंदिर के सभागार में विद्वानों के बीच संस्कृत में शास्त्र चर्चा का आयोजन था। इसमें अनेक संत और विद्वान् भाग ले रहे थे। स्वामी दयानंद गिरि एक कोने में जा बैठे।
उन्होंने चर्चा के बीच में खड़े होकर विनयपूर्वक कहा, ‘आप लोग प्रश्न का उच्चारण ठीक ढंग से नहीं कर रहे । ‘ उन्होंने शुद्ध उच्चारण भी बता दिया।
मंदिर समिति के अध्यक्ष ने देखा कि यह तो वही संत है, जो थोड़ी देर पहले जूठे बरतन साफ कर रहा था, तो वह हतप्रभ रह गया। जब उसे पता चला कि वह स्वामी दयानंद गिरिजी महाराज हैं, तो वह उनके चरणों में गिरकर क्षमा माँगने लगा।
स्वामीजी ने कहा, ‘मैंने श्रीनाथजी के भक्तों के जूठे बरतन धोकर अपने पूर्व जन्म के संचित पापों को ही धोया है। साधु के लिए कोई भी काम बड़ा-छोटा नहीं होता। उसे तो सेवा करने को तत्पर रहना चाहिए । ‘
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9. Moral Stories in Hindi for Class 10 – अहंकार त्यागो
संतश्री डॉ. चतुर्भुज सहायजी प्रायः अपने प्रवचन में कहा करते थे कि साधु बनकर साधना करनेवाला आसानी से आत्मोद्धार नहीं कर सकता, जबकि गृहस्थ सहज ही कल्याण का रास्ता निकालकर भगवान् की कृपा प्राप्त कर सकता है।
एक दिन एक व्यक्ति उनके पास पहुँचा। उसने कहा, ‘महाराज, मैं उच्च शिक्षा प्राप्त हूँ। मैंने अनेक धर्मशास्त्रों का अध्ययन किया है। मेरी पत्नी और बच्चे हैं, किंतु मुझे लगता है कि गृहस्थी के प्रपंच में फँसे रहकर मैं अपने जीवन को सार्थक नहीं कर सकता ।
कृपया मेरा मार्गदर्शन करें। ‘ संतश्री ने कहा, ‘ज्ञान और साधना का रास्ता इतना आसान नहीं है, जितना तुम समझ रहे हो । ज्ञानी या संत होने का अहंकार दिनोदिन बढ़ता है।
आदमी गृहस्थी में रहकर यदि सत्कर्म और संयम का पालन करता हुआ ईश्वर भक्ति में लगा रहे, तो उसका सहज ही कल्याण हो सकता है। गृहस्थ जीवन में आने वाली समस्याएँ मनुष्य को मिथ्या अहंकार से मुक्त रखती हैं। यह मिथ्या अहंकार ही जीव को
प्रभु से दूर रखता है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘दुर्व्यसनों का पूर्ण त्याग किए बिना ईश्वर के दरबार तक पहुँचना अत्यंत कठिन है। जो भी व्यक्ति अपने दुर्गुणों और अहंकार का त्याग कर शरणागत होता है, उसे प्रभु स्वयं ही पवित्र बना देते हैं।
इसलिए गृहस्थी में रहते हुए भी साधना ध्यान करते रहो । मंगलमय परिवार को छोड़कर जंगल में भागने से कुछ नहीं मिलेगा।’ जिज्ञासु की समस्या का समाधान हो गया।
10. Moral Stories in Hindi for Class 10 – अनूठा वशीकरण मंत्र
आध्यात्मिक विभूति पंडित मिहीलालजी की वाणी इतनी मधुर व प्रभावी थी कि जो कोई उनके सत्संग में आता, वह उनकी प्रेरणा से समाज सेवा करने लगता। वे अकसर कहते थे कि जो कड़वा सुनकर भी मीठा बोलता है, वही सच्चा संत है। जो निंदा और आलोचना सुनकर क्रोधित नहीं होता, वही सफल गृहस्थ है।
एक बार मिहीलालजी टूंडला (उत्तर प्रदेश) प्रवास पर थे। एक व्यक्ति उनके सत्संग के लिए आया। उसने सुन रखा था कि पंडितजी वशीकरण मंत्र जानते हैं। उस व्यक्ति का पड़ोसियों से विवाद था।
उसने सोचा कि यदि पंडितजी वशीकरण मंत्र दीक्षा में दे देंगे, तो वह सभी को जीत लेगा । उस श्रद्धालु ने पंडितजी का चरण स्पर्श किया और कहा, ‘महाराज, क्या आप वशीकरण मंत्र जानते हैं और उसकी जाप-विधि मुझे बता सकते हैं?’ पंडितजी ने हामी भरी, तो वह हर्षित हो उठा।
पंडितजी ने कहा, ‘भैया, मैं सबसे मीठा बोलता हूँ। किसी की बात व्यर्थ में नहीं काटता। धैर्य से सबकी सुनता हूँ। हृदय से सबका भला चाहता हूँ। यही वशीकरण मंत्र है।
तुम इसका पालन करो। यह तुरंत प्रभावी चमत्कार दिखाएगा।’ पंडितजी ने आगे कहा, ‘जिसमें सहनशक्ति होती है, जो किसी की निंदा या आलोचना नहीं करता, असहायोें की सेवा के लिए तत्पर रहता है, बड़ों का आदर करता है, तो लोग स्वतः उसके हितैषी बन जाते हैं। भगवान् भी उसके वश में हो जाते हैं।’ जिज्ञासु का समाधान हो गया।
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11. चतुर अर्जुन In Hindi Moral Short Story For Class 10
एक दिन अर्जुन और उसका छोटा भाई करण दोनों घर में अकेले थे। उनके पिताजी एक पुलिस अधिकारी थे। वे एक लाल रंग की फाइल घर लाए थे। उसमें सभी कुख्यात आतंकवादियों के बारे में जानकारी थी।
अर्जुन जानता था कि पापा ने वह फाइल एक अलमारी में सुरक्षित रखी हुई है। अर्जुन और करण खेल रहे थे कि तभी दो आतंकवादी उनके घर में घुस आए और बोले, “लाल फाइल कहाँ है?” अर्जुन बड़ा चालाक था।
वह बोला, “शयनकक्ष की अलमारी में ऊपर रखी गई है। मैं वहाँ तक नहीं पहुँच सकता।” दोनों आतंकवादी लाल फाइल को हासिल करने के लिए उस कमरे में गए। जब वे अलमारी में फाइल ढूँढ रहे थे,
तब अर्जुन ने धीरे-से उस कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और पिताजी को भी फोन कर दिया जल्दी ही उसके पिताजी पुलिस लेकर वहाँ पहुँच गए।
दोनों आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस प्रकार अर्जुन ने अपनी चतुराई से दोनों आतंकवादियों को पकड़वा दिया। सभी ने उनकी खूब सराहना की।
12. भेड़िए की योजना Story In Hindi For Class 10
एक बार पूरे देश में सूखा पड़ गया। बारिश के अभाव में सभी नदी-नाले सख गए। कहीं पर भी अन्न का एक दाना नहीं उपजा। बहुत से जानवर भूख और प्यास से मर गए। पास ही के जंगल में एक भेड़िया रहता था।
उस दिन वह अत्यधिक भूखा था। भोजन न मिलने की वजह से वह बहुत दुबला हो गया था। एक दिन उसने जंगल के पास स्थित चरागाह में भेड़ों का झुंड देखा। चरवाहा उस समय वहाँ पर नहीं था।
वह अपनी भेड़ों के लिए पीने के पानी की बाल्टियाँ भी छोड़कर गया था। भेड़ों को देखकर भेड़िया खुश हो गया और सोचने लगा, ‘मैं इन सब भेड़ों को मारकर खा जाऊँगा और सारा पानी भी पी जाऊँगा।
फिर वह उनसे बोला, “दोस्तो, मैं अत्यधिक बीमार हूँ और चलने-फिरने में असमर्थ हूँ। क्या तुम में से कोई मुझे पीने के लिए थोड़ा पानी दे सकता है।” उसे देखकर भेड़ें सतर्क हो गई। तब उनमें से एक भेड़ बोली,
“क्या तुम हमें बेवकूफ समझते हो? हम तुम्हारे पास तुम्हारा भोजन बनने के लिए हरगिज नहीं आएँगे।” इतना कहकर भेड़ें वहाँ से भाग गई।
इस प्रकार भेड़ों की सतर्कता के कारण भेड़िए की योजना असफल हो गई और बेचारा भेड़िया बस हाथ मलता ही रह गया।
13. बेवकूफ भेड़िया Short Story In Hindi
एक दिन एक छोटा मेमना जंगल के किनारे स्थित चरागाह में चर रहा था। अचानक एक भेड़िए की निगाह उस पर पड़ी। वह उसे देखकर सोचने लगा, ‘वाह! आज तो ठीक भोजन के समय ही मुझे मेरा शिकार मिल गया।
में इसे किसी भी तरह खाकर अपनी भूख मिटाऊँगा।’ यह सोचकर भेड़िया तेजी से दौड़ा और उसने मेमने को पकड़ लिया। वह उसे खाने ही वाला था कि तभी मेमना बोला, “मुझे खाने से पहले मेरी अंतिम इच्छा पूरी करने की कृपा करो।”
भेड़िया उसकी बात मान गया और बोला, “तुम्हारी अंतिम इच्छा क्या है?” वह बोला, “मैं चाहता हूँ कि तुम बाँसुरी बजाओ और मैं उसकी धुन पर नृत्य करूँ। नृत्य करते-करते जब मैं थक जाऊँगा, तब तुम मुझे खा लेना।”
भेड़िया मान गया और उसने बाँसुरी बजाना शुरू की। तब मेमने ने उसकी धुन पर नृत्य करना प्रारंभ किया। बांसुरी की आवाज सुनकर कुछ भेड़ें वहाँ पर आ गई।
भेड़िए के समीप छोटे से मेमने को देखते ही उन्होंने भेड़िए के ऊपर धावा बोल दिया। भेड़िया किसी तरह अपनी जान बचाकर भागा।
उसने सोचा, ‘मैं भी कितना बेवकूफ हूँ। क्यों मैंने अपने आप को संगीतज्ञ समझ लिया? यह मेरे लिए ही परेशानी का कारण बना।’
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14. मेहनत की कमाई In Hindi Stories For Class 10
सोनू एक आलसी लड़का था। वह अपना समय यूँ ही आवारागदी करने में व्यतीत करता था। इस कारण वह हमेशा कार्य करने से जी चुराता था। एक दिन उसे पैसों से भरा एक थैला मिला।
वह अपने भाग्य पर बहुत खुश हुआ। वह यह सोच-सोचकर खुश हो रहा था कि उसे बिना प्रयास के ही इतने सारे पैसे मिल गए। सोनू ने कुछ पैसों से मिठाई खरीदी, कुछ पैसों से कपड़े व अन्य सामान खरीदा।
इस प्रकार उसने पैसों को व्यर्थ खर्च करना प्रारंभ कर दिया। तब उसकी माँ बोली, “बेटा, पैसा यूँ बर्बाद न करो। इस पैसे का उपयोग किसी व्यवसाय को शुरू करने में करो।” सोनू बोला, “माँ मेरे पास बहुत पैसा है।
इसलिए मुझे कार्य करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है।” धीरे-धीरे सोनू ने सारा पैसा खर्च कर दिया अब उसके पास एक फूटी कौड़ी भी नहीं थी।
इस तरह वह एक बार फिर अपनी उसी स्थिति में आ गया। सोनू को एहसास हुआ कि यदि उसने वह धन परिश्रम से कमाया हुआ होता तो उसने अवश्य उसकी कद्र और उपयोगिता समझी होती।
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15. दिवास्वप्न Short Moral Story In Hindi For Class 10
एक प्रसिद्ध ज्योतिषी था। वह हमेशा सूर्य-चन्द्रमा.ग्रह-नक्षत्रों की दशा देखकर लोगों का भविष्य बताने में व्यस्त रहता था। कभी-कभी तो वह चलते हुए भी आकाश को देखने में इतना व्यस्त रहता कि उसे होश ही नहीं रहता था कि उसके कदम कहाँ पड़ रहे हैं।
एक दिन वह अन्य दिनों की तरह आकाश को देखता हुआ चला जा रहा था। उसे रास्ते में पड़ा एक बड़ा पत्थर नहीं दिखा। उसे जोर की ठोकर लगी और वह कंटीली झाड़ियों में जा गिरा।
कुछ राहगीरों ने उठने में उसकी सहायता की। उन्होंने ज्योतिषी से पूछा, “तुम इन कंटीली झाड़ियों में कैसे गिर गए?” तब ज्योतिषी ने उन्हें पूरा घटनाक्रम सुना दिया। उनमें से एक राहगीर बोला,
“तुम भविष्यवाणी करते हो, किंतु तुम्हारी आँखों के सामने क्या है, ये तुम्हें दिखाई नहीं देता, ये बड़े आश्चर्य की बात है। तुम्हें सपनों की दुनिया से बाहर निकलकर वास्तविक दुनिया में जीना चाहिए।”
यह सुनकर ज्योतिषी को बड़ी शर्म महसूस हुई और उसने ये सबक पूरी जिदगी याद रखा।
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16. सबक For Class 10 Short Story In Hindi
एक समय की बात है। एक आश्रम में रवि नाम का एक शिष्य रहता था। वद बहुत अधिक नटखट था। वह प्रत्येक रात आश्रम की दीवार फॉँदकर यहाँ-व और बाहर जाने की बात कोई नहीं जानता।
सुबह होने से पहले लौट आया। वह सोचता था कि उसके आश्रम से घूमता लेकिन उसके गुरुजी यह बात जानते थे। वे रवि को रंगे हाथ पकड़ना चाहते थे। एक रात हमेशा की तरह रवि सीढ़ी पर चढ़ा और दीवार फॉदकर बाहर कूद गया।
उसके जाते ही गुरुजी जाग गए। तब उन्हें दीवार पर सीढ़ी लगी दिखाई दी। कुछ घंटे बाद रवि लौट आया और अंधेरे में दीवार पर चढ़ने की कोशिश करने लगा। उस वक्त उसके गुरुजी सीढ़ी के पास ही खड़े थे।
उन्होंने रवि की नीचे उतरने में मदद की और बोले, “बेटा, रात में जब तुम बाहर जाते हो तो तुम्हें अपने साथ एक गर्म साल अवश्य रखनी चाहिए।
गुरुजी के प्रेमपूर्ण वचनों का रवि पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी गलती के लिए क्षमा माँगी। साथ ही उसने गुरु को ऐसी गलती दोबारा न करने का वचन भी दिया।
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17. चालाक चिड़िया Short Story In Hindi
एक व्यक्ति ने अपने पालतु चिड़ियों के लिए एक बड़ा-सा पिंजड़़ा बनाया उस पिंजरे के अंदर चिड़िया आराम से रह सकती थीं। वह व्यक्ति प्रतिदिन उन चिड़ियों को ताजा पानी और दाना देता।
एक दिन उस व्यक्ति की अनुपस्थिति में एक चालाक बिल्ली डॉक्टर का वेश धारण कर वहाँ पहुँची और बोली, “मेरे प्यारे दोस्तो पिंजड़े का दरवाजा खोलो। मैं एक डॉक्टर हूँ और तुम सब के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए यहाँ आई हूँ।”
समझदार चिड़ियाएँ बिल्ली की चाल को तुरंत समझ गईं। वे उससे बोली, “तुम हमारी दुश्मन बिल्ली हो। हम तुम्हारे लिए दरवाजा हरगिज नहीं खोलेंगे। यहाँ से चली जाओ।” तब बिल्ली बोली,
“नहीं, नहीं। मैं तो एक डॉक्टर हूँ। तुम मुझे गलत समझ रहे हो। मैं तुम्हें कोई हानि नहीं पहुँचाऊँगी। कृपया दरवाजा खोल दो।”
लेकिन चिड़िया उसकी बातों में नहीं आई। उन्होंने उससे स्पष्ट रूप से मना कर दिया। आखिरकार मायूस होकर बिल्ली वहाँ से चली गई।
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18. जिंदगी का आनंद [ Hindi Moral Story ]
एक दिन रोहित मोहित से मिला। उसने मोहित से पूछा, “मोहित, जिंदगी कैसी चल रही है? तुम तो बड़े खुश नजर आ रहे हो।” मोहित बोला, “हाँ, अभी कुछ समय पहले मेरी शादी हो गई।”
रोहित बोला, “वाह! ये तो बड़ी अच्छी खबर है। मुबारक हो।” मोहित बोला, “धन्यवाद। वैसे मुझे मुबारकबाद की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मुझे एक काली एवं भद्दी पत्नी मिली जो कि मुझे पसंद नहीं आई।”
रोहित ने दुखी स्वर में कहा, “अरे यार, मुझे पता नहीं था।” “नहीं, नहीं, मुझे किसी बात का दुख नहीं है, क्योंकि मुझे दहेज में एक बड़ा बंगला भी तो मिला,” मोहित ने खुशी-खुशी कहा।
रोहित बोला,”मोहित तुम बड़े किस्मत वाले हो।” “नहीं यार, ऐसा भी नहीं है। दरअसल हुआ यह कि उस बंगले में आग लग गई और बंगला जलकर राख हो गया।” मोहित ने रोहित से कहा।
रोहित ने दुखी स्वर में कहा, “अरे! ये तो वास्तव में बड़ी बुरी खबर है।” मोहित बोला, “नहीं, मैं बंगले के जलने पर खुश हूँ, क्योंकि उसमें मेरी बीवी भी थी। वह भी आग में जलकर मर गई।”
रोहित ने दोनों हाथों से अपना सिर थाम लिया और सोचने लगा, ‘मोहित, तुम कभी भी जिंदगी का आनंद लेने से नहीं चूकोगे।’
19. जादुई बर्तन Short Story For Students of Class 10 In Hindi
एक दिन एक किसान एवं उसकी पत्नी खेत जोतकर उसमें बीज बो रहे थे जब वे खेत में हल चला रहे थे. तभी हल से कुछ टकराया। उन्होंने देखा तो वह ताँबे का एक बड़ा-सा खाली बर्तन था।
वे उस बर्तन को घर ले आए। रास्ते में उन्होंने बर्तन में हल रख दिया। जब वे घर पहुँचे तो उन्होंने बर्तन को देखा। बर्तन के अन्दर दो हल देखकर वह दोनों आश्चर्यचकित रह गए। उसकी पत्नी बोली,
“मुझे लगता है. यह एक जादुई बर्तन है हम इस बर्तन में जो कुछ भी रखेंगे, वह दोगुना हो जाएगा।” अब किसान ने बर्तन के अन्दर पैसे रख दिए और वे दोगुने हो गए फिर उसने और पैसे रखे, वे भी दोगुने हो गए।
अब तो वे दोनों पैसे पर पैसा बनाने लगे। अगले दिन बदकिस्मती से किसान की पत्नी पैर फिसलने के कारण उस बर्तन में जा गिरी। किसान ने उसे बाहर निकाला, परन्तु अब उस बर्तन में एक पत्नी और थी।
उसने दूसरी पत्नी को भी बाहर निकाला। जादुई बर्तन के कारण वह व्यक्ति बड़ी मुसीबत में फँस गया था। किसी ने ठीक ही कहा है कोई चीज लाभदायक होने के साथ हानिकारक भी हो सकती है।
20. चौकीदार कुत्ता In Hindi Short Story For Class 10
एक किसान के पास भेड़ों का एक झुंड था। किसान अपनी भेड़ों को एक भेड़िए से बचाने का बड़ा प्रयास करता, लेकिन असफल रहता। भेड़िया सिर्फ एक भेड़ को छोड़कर अब तक उसकी सारी भेड़ों को खा चुका था।
एक दिन किसान अपनी पत्नी से बोला, “मैं इस आखिरी भेड़ को बेच दूंगा।” भेड़ किसान की यह बात सुनकर सोचने लगी, इस कसाई के हाथों मारे जाने से बेहतर है कि मैं आजाद रहूँ।’
इसलिए भेड़ चौकीदार कुत्ते को साथ लेकर रात को वहाँ से चली गई। तभी भेड़िए की निगाह उन पर पड़ी। वह भेड़ को अपना भोजन बनाना चाहता था, परन्तु कुत्ते की उपस्थिति में यह संभव नहीं था।
इसलिए वह भेड़ से बोला, “हे भेड़! यहाँ आओ मैं तुम्हारा दोस्त बनना चाहता हूँ।” कुत्ता भेड़िए की मंशा भाँप गया। कुत्ते ने पास के ही पेड़ के नीचे एक शिकंजा लगा देखा।
अत: वह बोला, “यदि तुम उस पवित्र पेड़ को छू लोगे तो हम तुम पर विश्वास कर लेंगे।” भेड़िया जैसे ही पेड़ को छूने गया, वह शिकंजे में फँस गया। अब किसान की भी समस्या हल हो गई। वह खुशी-खुशी भेड़ और कुत्ते को वापस ले आया।
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